व्यापारियों की ज़िम्मेदारी

धर्म-कर्म

बाज़ार में आम तौर पर चीज़ें या तो नाप कर बेची-खरीदी जाती हैं या तौल कर। देखा जाये तो आज कल अक्सर चीज़ें तौल कर बेची जाती हैं। हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के ज़माने में ज़्यादातर चीज़ें नाप कर बेची जाती थीं। ताजिरों (व्यापारियों) पर फर्ज़ (ज़रूरी) है कि कोई भी समान बेचतें वक्त पूरा तौलें और नापें,  कम तौलना या कम नापना सख्त गुनाह (पाप) है। हज़रत शोएब (अ) की क़ौम इसी गुनाह की वजह से हलाक (खत्म या बर्बाद) हुई थी। इसलिए इस बुरे काम से हर-हाल में बचना चाहिए। एक मर्तबा हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)  बाज़ार गए, आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने उन लोगों से जो नाप कर और तौल कर चीज़ें (सामान) बेच रहे थे यानी व्‍यापार कर रहे थे उनसे कहा: “तुम लोग ऐसी दो चीज़ों के ज़िम्मेदार बनाए गए हो जिस में कोताही की वजह से पिछली उम्मतों में से कुछ उम्मतें हलाक (खत्म या बर्बाद) की जा चुकी हैं।” और जो चीज़ें गज़ से नाप कर या गिन कर बेची खरीदी जाती हैं उनका भी यही हुक्म है, उनमें भी धोकेबाज़ी करना हराम (मना) और सख्त गुनाह है।

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