इंटीरियर डिजाइनिंग केवल घरो की साज-सज्जा तक सिमित नही, इसका दायरा दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। आर्किटेक्चर का काम खत्म होने के बाद इंटीरियर डिज़ाइनर की जिम्मेदारी शुरू होती है। किसी आवास की आंतरिक सज्जा और व्यवस्थित करने की कला या प्रक्रिया ही इंटीरियर डिजाइनिंग है। कभी कभी विशेष अवसरों के लिए इंटीरियर डिजाइनिंग के दौरान बाहरी सजावट के लिए भी काम करना होता है। इस प्रकार डिजाइनिंग करने वाले डिजाईनरो को ही इंटीरियर डिज़ाइनर कहते है। डिजाइनिंग की रुपरेखा तैयार करने से लेकर कार्यान्वित करने का काम इंटीरियर डिज़ाइनर का होता है। यही वजह है कि युवाओं में इस फील्ड का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है।
योग्यता एवं कोर्स
कोर्स में प्रवेश के लेने के लिए 12वी कक्षा पास होना अनिवार्य है। कई संस्थानों में अलग -अलग कोर्स कराए जाते है। इंटीरियर डिजाइनिंग में डिप्लोमा और डिग्री दोनों स्तर के कोर्स है। इसके सभी कोर्स प्रत्येक संस्थान अलग-अलग नामो से संचालित करती है जिनकी अवधि भी अलग अलग होती है। इनमे दाखिला आमतौर पर प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिया जाता है। इन्हें अधिकतर संस्थान अपने स्तर पर आयोजित करते है। प्रवेश परीक्षा में तार्किक एवं बौद्धिक क्षमता, गणित ,विज्ञान, अंग्रेजी, हिंदी, सामन्य ज्ञान से संबधित प्रश्न पूछे जाते है।
इंटीरियर डिजाइनिंग के तहत जो कोर्स संचालित हो रहे है वे इस प्रकार है
- Bachelor in Interior Design (5 Years)
- Graduate Diploma in Designer furniture and Interior (4 Years)
- B.A. Honors Interior Architecture and Design (4 Years)
- Bachelor of Design (4 Years)
- Graduate Diploma -Interior Space and Furniture Design (4 Years)
- B.Sc. Interior Designing (3 Years)
- Undergraduate Professional Diploma Program – Furniture and Special Design (4 Years)
रोजगार के अवसर
सामान्य तौर पर इंटीरियर डिज़ाइनर स्वरोजगार के रूप में अपनाने पर ज्यादा लाभ मिलता है। इंटीरियर डिज़ाइनर के लिए आर्किटेक्टर फर्मो, प्रोडक्शन हाउस, थिएटरों में नौकरी के विकल्प होते है।
वेतन
इस क्षेत्र में शुरुवाती वेतन 10 से 15 हजार रूपये तक मिलता है। समय के साथ अनुभव और कार्यकुशलता बढने पर वेतन में भी बढ़ोतरी होती जाती है।
भविष्य की संभावनाएं
किसी भी परिवेश की खूबसूरती हर इन्सान को मोहित कर देती है। आज आवासों की अंदरुनी सजावट का प्रचलन बढने से इंटीरियर डिजाइनिंग एक तेजी से उभरता हुआ करियर बनता जा रहा है। इंटीरियर डिजाइनिंग केवल घरो की साज-सज्जा तक सिमित नही है बल्कि इसका दायरा दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। इंटीरियर डिज़ाइनर का कार्यक्षेत्र अपार्टमेंट, बंगले, कोठी से लेकर ऑफिस, हॉस्पिटल, होटल, रेस्तरा, ऑडिटोरियम और सार्वजनिक स्थलों तथा कीओस्क, प्रदर्शनी स्थल जैसी आउटडोर गतिविधियों तक फ़ैल चूका है।