(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं।
हिन्दी व्याख्याः- सूर: लहब, हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का एक चाचा, अबूलहब था। उसने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जन्म पर अत्यंत प्रसन्न होकर अपनी एक लौंडी (दासी) को स्वतंत्र कर दिया था। यह उस समय की बात है जब युद्ध बंदियों को दासी बना कर रखा जाता था तथा मानवजाति का वस्तुओं की भांति क्रय-विक्रय किया जाता था। फिर एक समय वह भी आया जब मुहम्मद साहब ने लगभग चालीस वर्ष की अवस्था में अपने नबी होने की सूचना सार्वजनिक की तब यही अबूलहब आप का सबसे बड़ा शत्रु भी बन गया। (सूर: कौसर के संदर्भ में यह लिखा जा चुका है कि जब मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सुपुत्र इब्राहीम मृत्यु को प्राप्त हुए तो अबूलहब ने सर्वप्रथम यह शुभ समाचार लोगों को पहुंचाया और कहा कि मुहम्मद वंशहीन हो गया है)
हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पहले संबोधन में ही अबूलहब ने गालियां देना तथा बुरा भला कहना प्रारंभ कर दिया। हज के तथा अन्य सामाजिक अवसरों पर जब भीड़ इकट्ठा होती थी, मुहम्मद साहब इस्लाम का संदेश देने वहां पहुंच जाया करते थे। अबूलहब आप के पीछे पीछे जाता और न केवल आप को झुठलाता वरन् कई प्रकार के आक्षेप भी लगाया। जादूगर, दीवाना, भविष्यवक्ता तथा परिवार तोड़ने वाला बताया। अकेले में भी क़बीला के मुखियाओं तथा अन्य समूहों में जा कर दुष्प्रचार करता कि लोग आप की बात ही न सुनें।
अबूलहब की पत्नी अपने पति से भी बढ़कर थी। उसका घर भी आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के निकटतम पड़ोसी का था। वह कांटेदार झाड़ियां चुनकर लाती तथा रात के अंधेरे में आपके द्वार पर रख जाती जिससे कि आप को कष्ट होता।
इस पृष्ठभूमि में यह सूर: भविष्यवाणी स्वरूप अवतरित हुई, तथा आप के इस कट्टर शत्रु के कष्टदायक अन्त के बारे में जानकारी दी गई। हाथ टूटना हिन्दी में भी एक मुहावरा है जिसका तात्पर्य शक्तिहीन हो जाना होता है, जब सभी भौतिक सहारे साथ छोड़ जाते हैं एवं मनुष्य असहाय सा हो जाता है।
इतिहास साक्षी है कि बाद में अबूलहब के साथ भी ऐसा ही हुआ। वह एक संक्रामक रोग से ग्रसित हुआ कि उसके अपने बेटों तथा सगे संबंधियों ने उससे संबंध तोड़ लिया। उसे एकांतवास में डाल दिया गया जहां कोई उसकी देखभाल करने वाला भी नहीं था। ऐसे ही अवस्था में वह मर गया। जब उसका शव सड़ने लगा तथा दुर्गंध से बाहर वालों का चलना फिरना दूभर हो गया, तब लोगों ने उसके बेटों को शर्म दिलाई। तब उसके बेटों ने लकड़ी से ढकेल ढकेल कर गड्ढे में डाल कर दबा दिया।
इसी बात को इस सूर: में भविष्यवाणी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। अबूलहब के दोनों हाथ टूट गए। इससे जहां हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को संतुष्टि मिलती कि यह विपत्ति अधिक दिनों तक रहने वाली नहीं है तो वहीं अबूलहब के होश उड़ा देने वाली है। वह बर्बाद हो गया का अर्थ है कि सफलता तथा असफलता वास्तव में अपने परिणाम पर केन्द्रित होनी चाहिए, इस मायने में अबूलहब जो सांसारिक दृष्टि से उस समय में सम्पन्न एवं समृद्ध था तथा इसी कारण दंभी हो गया था, संसार ने देखा कि उसका अन्त कितना कष्टप्रद हुआ। जो धन संपत्ति उसने अपने तथा बच्चों के लिए संयत के रखी थी उसका लाभ न उसको हुआ और न ही उसके पुत्रों ने ही उसका मान रखा। संसार ने उसका हश्र देख लिया। अब मरने के बाद भी उसे शांति मिलने वाली नहीं है क्योंकि वह वह अग्नि की ज्वाला में जा पड़ेगा।
उसकी पत्नी भी अपनी करनी का भरपूर परिणाम भुगतेगी। यहां वह सताने के लिए लकड़ियां चुनती थी, परिणाम स्वरूप कल नर्क में अपने जलने के लिए ईंधन चुन कर स्वयं लाएगी। इसके अतिरिक्त नर्क में एक विशिष्ट यातना भी उसके लिए प्रतीक्षारत है। गले में मूंझ की रस्सी बांध कर उसे घसीटा जाएगा।
रिज़वान अलीग, email – [email protected]