कुरआन की बातें (भाग 12)

कुरआन की बातें

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं।

हिन्दी व्याख्याः- सूर: हुमज़:, इस सूर: में दो शब्दों का प्रयोग करते हुए कुछ विशेष व्यक्तियों के बुरे अंजाम (दुर्दिन/दुर्दशा) की सूचना दी गई है, ताकि ऐसे लोग अपने व्यवहार सुधार लें। दूसरों में कमियां ढूंढना एक घृणित कार्य है। इसी प्रकार चुगलखोरी भी एक जघन्य अपराध है। एक हदीस शरीफ़ में है कि चुगलखोर स्वर्ग में नहीं जाएगा।

पर इन दोनों शब्दों के व्यापक अर्थ में सभी प्रकार के मौखिक एवं शारीरिक अपराध भी आते हैं जिन से किसी एक व्यक्ति या समूह को कष्ट दिया जा सकता अथवा प्रताड़ित किया जा सकता है। किसी पर लांछन लगाना, पीठ पीछे किसी की बुराई करना, दो लोगों के मध्य वैमनस्यता उत्पन्न करना, सामाजिक सौहार्द बिगाड़ना, खुफिया रिपोर्ट लेकर मानसिक अथवा आर्थिक शोषण करना – यह सभी कार्य कभी बातों से, कभी इशारों से, व्यवहार से, नक़ल कर के, व्यंग्य के द्वारा या अपमानित करके – किसी भी प्रकार से किया जाए, वह उत्पीड़न की इसी श्रेणी में आएगा। टोह में पड़ना स्वयं में एक अपराध है। फिर किसी को फंसाने के उद्देश्य से उसका भेद जानना तथा दुर्भावना पूर्ण कार्यवाही का संपादन करना भी नीचता का परिचायक है।

इन दोनों अवगुणों के संग यदि किसी धनाढ्य व्यक्ति का साथ हो, तो इस जुर्म की भयावहता अत्यधिक बढ़ जाती है। एक व्यक्ति इस कारण धन संचय नहीं करता कि दूसरे उसके आशीर्वाद का लाभ उठा सकें, अपितु उसके संपत्ति अर्जित करने के पीछे यह उद्देश्य होता है कि दूसरे की व्यथा का लाभ उठाए तथा अधिक धनोपार्जन कर सके। इस कारण वह झूठे केस दर्ज कराए, ब्याज दरों पर उत्तरोत्तर वृद्धि के द्वारा गरीबों एवं असहायों का रक्त चूसे एवं अपने ऐश्वर्य का झूठा प्रर्दशन कर एक बड़े वर्ग पर अपनी धौंस जमाए।

ऐसे स्वार्थी नरपिशाचों का दुर्दांत इस संसार में तो दिखाई देता ही है, उनकी वास्तविक सज़ा मरणोपरांत होगी। ऐसे लोगों के लिए अल्लाह ने विशेष प्रावधान किया है। अग्नि जो अपने वीभत्स रूप में अस्थि पंजर भी राख कर देती है तथा संसार की कोई वस्तु उसका सामना नहीं कर सकती, अल्लाह ने उसे ह़ुतम: की संज्ञा दी है, अर्थात वह तोड़ कर चूरा बना देने की शक्ति रखती है।

क़ियामत (मृत्युपरांत जब एक दिन सभी अगले पिछले लोग अल्लाह के सम्मुख एकत्रित किए जाएंगे एवं उनके प्रत्येक पाप-पुण्य का लेखा जोखा प्रस्तुत किया जाएगा) की अग्नि इस संसार की अग्नि से सत्तर गुणा अधिक गर्म होगी। उस अग्नि में यह समस्त धन एवं उसे संचित कर ग़लत कार्य करने वाले झोंक दिए जाएंगे एवं बड़ी टूट फूट के पश्चात चूरा बन जाएंगे।

अल्लाह जो सदैव दयालु एवं अपने उपासकों के लिए कृपालु है, उसने इस अग्नि का संबंध स्वयं से स्थापित किया है, यह उसकी भयावहता बताने के लिए पर्याप्त है। यह भड़कती हुई अग्नि की ज्वाला एक ऊंचे स्तंभ में प्रज्जवलित की जाएगी एवं इन आरोपियों को उसमें डाल कर बंद कर दिया जाएगा। न वहां से निकल सकेंगे, न ही कोई सहायता मिल सकेगी। इस अग्नि की एक अन्य विशेषता होगी कि वह सीधे हृदय पर आक्रमण करेगी, क्योंकि उपरोक्त सभी दुषटताओं का केंद्र बिंदु वही था।

रिज़वान अलीग, email – [email protected]

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