कुरआन की बातें (भाग 15)

कुरआन की बातें

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं।

हिन्दी व्याख्या: सूर: क़ारिअ़:, यह सूर: क़ियामत के संबंध में चेतावनी देने के लिए है। उसका आना अचानक होगा और फिर वह किसी को कुछ करने का अवसर नहीं देगी। अतः उसके आने से पहले उसकी तैयारी कर लो। क़ियामत आने के उपरांत केवल एक ही मुख्य कार्य संचालित होगा: सभी के आचरण एवं व्यवहार को तौला जाएगा। यदि अच्छे आचरण से तराजू का पलड़ा झुक गया, तो फिर मज़ा ही मज़ा है। मनपसंद स्वर्ग में ठिकाना होगा एवं किसी भी प्रकार का कष्ट अथवा चिंता की कोई बात नहीं होगी।

किंतु यदि जीवन में सदाचार एवं पुण्य के कार्य नहीं किए गए हैं, तो तराजू का पलड़ा हल्का होगा। तथा जिस का पल्ला हल्का होगा, उसके दुर्भाग्य एवं कष्टमय जीवन का वहीं से आरंभ होगा। वह अनंत काल के लिए नर्क का ईंधन बनेगा एवं आग में जलेगा।

इसी कारण महादयालु ईश्वर ने समय रहते समस्त मानवजाति को सचेत कर दिया है ताकि उस कभी न समाप्त होने वाली पीड़ा से सब बच सकें।

क़ुरआन शरीफ़ में क़ियामत के लिए अनन्य विशेषण प्रयुक्त हुए हैं: (ग़ाशिय:) छा जाने वाली, (ह़ाक़्क़:) अवश्यंभावी, वाक़िअ़: (वास्तव में घटित होने वाली) आदि विभिन्न विशेषण उसका स्वभाव बताते हैं। अर्थात वह अचानक आएगी, हर वस्तु पर छा जाएगी, उसके आने में कोई संशय नहीं है आदि इत्यादि। यहां खड़खड़ाने वाली कहने से तात्पर्य यह है कि वह झकझोर कर रख देगी। इसी कारण उसकी पूर्व सूचना/चेतावनी दी जा रही है।

जिस प्रकार इस सूर: के नाम मात्र से क़ियामत के संबंध में बहुत सी जानकारी मिली, उसी प्रकार आगे क़ियामत के आने का जो वातावरण प्रस्तुत किया गया है वह उसकी भयावहता का प्रर्दशन है। वह वास्तव में ऐसी है कि उस से डरा जाए तथा बाद में घटित होने वाली कार्रवाई से बचा जाए। कहा गया उस दिन लोग पतिंगों की भांति बिखरे होंगे। हर कोई अपनी ही जान लिए फिर रहा होगा। उसे दूसरे की, यहां तक कि अपने घर परिवार के अन्य सदस्यों की भी कोई चिंता नहीं होगी, जिन पर वह दुनिया में जान न्योछावर करता था। चिंता तो दूर उस दिन वह उनसे दूर दूर भागेगा, कि कहीं वह उससे कोई नेकी (की भीख ही) मांग ले। क़ुरआन शरीफ़ में अन्य स्थान पर आया है कि व्यक्ति का वश चले तो अपने ही सगे संबंधियों को फिरौती में देकर अपनी जान छुड़ाए। इसी कारण वे कीट पतंगों की भांति इधर उधर भाग रहे होंगे।

मानवजाति की स्थिति का वर्णन करने के उपरांत नैसर्गिक वातावरण एवं स्वयं सृष्टि पर क्या बीत रही होगी, इस का उल्लेख किया गया है। विशाल, देवकाय गिरि जिनकी भव्यता तथा मज़बूती की आज कसमें (सौगंध) खाई जाती है, उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय होगी। वे अपनी जड़ों से उखड़ कर इस प्रकार हवा में तैर रहे होंगे जैसे ऊन जब उन्हें सही से धुनक दिया जाता है। (हमारे परिवेश में धुनी गई रूई से तुलना कर इसे समझा जा सकता है।)

इस छोटी सूर: में यही दो उदाहरण पर्याप्त हैं। बड़ी सूरतों में पूरा दृष्यांकन विधिवत किया गया है। यह दो दृश्य दिखा कर जो माहौल बना, वह अगले पल होने वाली कार्रवाई के लिए उचित पृष्ठभूमि है।

आगे सबसे वृहद, अनोखे, बेलाग तथा न्यायपूर्ण तराजू का वर्णन है, जिस पर लोगों के व्यवहार, नीयत, आचरण तथा पुण्य को तौला जाएगा। दुनिया में मिला यह जीवन वास्तव में परीक्षा स्थल है, जहां सभी अगले पिछले लोग अपना-अपना पर्चा हल करते हैं। क़ियामत के दिन सबके कर्मों को उस तराजू में तौला जाएगा जिसमें अन्याय की लेशमात्र भी संभावना नहीं है।

फिर जिसके अच्छे आचरण के कारण तराजू का पलड़ा झुक जाएगा, वह सफल घोषित किया जाएगा। परन्तु यदि जीवन भर किसी ने पुण्य से अधिक पाप अर्जित किए हैं तो उसके लिए तबाही है।

दो अलग-अलग चरित्र के लोग अलग-अलग परिस्थितियों एवं परिणामों से रूबरू कराये जाएंगे। एक तरफ मस्त, स्वच्छंद, चिंतामुक्त एवं विलासिता पूर्ण जीवनचर्या होगी, तो दूसरी ओर आग, ख़ून, पीप, सांप, बिच्छू तथा चीख-पुकार होगी।

मरने से पूर्व ही इन बातों की जानकारी इसी लिए दी गई है कि मनुष्य अपने लिए मनचाहा परिणाम तय कर ले तथा उसी के अनुसार अपने आचरण को ढाल ले। अल्लाह (ईश्वर) बहुत शक्तिशाली है उसके निर्णयों को रोकने का बूता किसी में नहीं है।

रिज़वान अलीग, email – [email protected]

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