गोरखपुर : महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में भारत की ओर परंपरा महायोगी गुरु गोरखनाथ विषय पर समायोजित ऑनलाइन साप्ताहिक योग शिविर के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता संकाय प्रमुख संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रोफेसर संतोष कुमार शुक्ल ने कहा कि भारत में योग की परंपरा बहुत ही प्राचीन है। पुराणों में सप्त द्विपा वसुंधरा की चर्चा की गई है उसमें भी भारतवर्ष को योग भूमि कहा गया है अन्य भूमियों को भोग भूमि कहा गया है।
उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ के अनुसार प्राणायाम को जीवन रूपी महासागर का महासेतु कहा गया है इसके विधिवत अभ्यास से योगी लौकिक और पारलौकिक दुखों से मुक्ति पा लेता है।
महायोगी गोरखनाथ एक युग प्रवर्तक संत हुए जिन्होंने नाथ पंथ का प्रवर्तन किया। नाथ पंथ की साधना मुख्य रूप से योग पर आधारित है।
योग के विभिन्न अंगों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यम नियम आदि आठ अंगों में प्राणायाम सर्व प्रमुख अंग है जिसमें प्राण तथा अपान वायु का निग्रह ईडा व पिंगला नाड़ियों के माध्यम से करते हैं।
ईडा सूर्य नाड़ी होती है जिसे है ह तथा पिंगला चंद्र नाड़ी होती है जिसे हठ के नाम से संबोधित कर इन दोनों के संयोग को हठयोग नाम देकर गोरखनाथ ने योग परंपरा में पातंजल योग से अपना वैशिष्ट्य प्रदर्शित किया है।
उन्होंने कहा कि केवल चित्त वृत्ति का निरोध ही योग का चरम लक्ष्य नहीं अपितु अमनस्क योग से मुक्ति को प्राप्त करना चरम लक्ष्य है।
भारतीय योग परंपरा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह परंपरा सृष्टि के प्रारंभ काल से ही प्रारंभ हुई और इसके प्रथम ज्ञाता भगवान सूर्य हुए। उन्होंने कहा कि योग में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है। आरोग्य प्राप्ति के लिए सूर्य देव की उपासना का महत्व है।
उन्होंने कहा कि यह परंपरा सदियों पुरानी महाभारत रामायण आदि काल में विस्तार से प्राप्त होती है। साथ ही महायोगी गुरु गोरखनाथ की रचना में प्रमुख रूप से योग बीज व सिद्ध सिद्धांत पद्धती जैसे ग्रंथों में संपूर्ण योग साधना का निचोड़ प्राप्त होता है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष व पूर्व कुलपति प्रोफेसर यू० पी० सिंह ने कहा कि भगवान् गोरखनाथ ने आमजन के लिए योग का आविष्कार किया। संपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन MppgCollege के फेसबुक पेज पर लिया गया।
ऑनलाइन फेसबुक कार्यक्रम को संचालित करने में प्रमुख रूप से डॉ प्रदीप राव, डॉ० अरविंद कुमार चतुर्वेदी, डॉ० अभिषेक पाण्डेय, अभय श्रीवास्तव, विनय गौतम आदि का सहयोग रहा।
दूसरे सत्र में सायंकाल 6 बजे से योग एवं ध्यान के अंतर्गत योगाचार्य डॉ० चंद्रजीत यादव के निर्देशन में शुभम द्विवेदी ने सूक्ष्म यौगिक व्यायाम, पवनमुक्तासन, द्विपादनसाग्रासन, उत्तानपादासन, नौकासन, शलभासन, स्वास्तिक आसन, वज्रासन, शवासन एवं प्राणायाम, अनुलोम विलोम, नाड़ी शोधन, कपालभाति, भस्त्रिका, ॐ का उच्चारण, भ्रामरी अंत में साक्षी का ध्यान किया।