दिग्विजयनाथ पी.जी.कालेज में अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का हुआ आयोजन, ‘‘ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता ही कोरोना महामारी का कारगर उपाय‘‘: डाॅ.मधुरेन्द्र सिंह

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गोरखपुर: वैश्विक महामारी कोविड-19 आज के 21वीं सदी में मानव स्वास्थ के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। इससे बचने एवं कारगर इलाज की खोज पूरे विश्व के लिये चुनौती बना हुआ है। वर्तमान समय में हमारे प्रतिरोधक क्षमता ही इसका कारगर उपाय है। उक्त बातें स्वीडन के कैरोलिन्सका इन्सिटयूट के माइक्रोबायोलोजी, ट्यूमर एवं सेल बायोलोजी विभाग के वैज्ञानिक डाॅ.मधुरेन्द्र सिंह ने कही। दस साल से छोटे बच्चों को बाहर न निकलने की सलाह सरकार द्वारा दी जा रही है। उसका वास्वतविक कारण उन बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होना नही है। अपितु उनके द्वारा संक्रमण का अधिकाधिक प्रसार हो सकना है। ‘‘ओ ब्लड ग्रुप‘‘ के व्यक्तियों में संक्रमण की कम संभावना है, यह बात पूर्णतया निराधार है किन्तु महिलाओं की मृत्यु दर कम है। इसका कारण महिलाओं में ‘‘एक्स-एक्स गुणसूत्र‘‘ का होना है। डाॅ.मधुरेन्द्र सिंह वैक्सिन और मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता विषय पर आज दिग्विजयनाथ पी.जी.कालेज के रसायन शास्त्र विभाग द्वारा आयोजित ‘‘कोविड-19 के साथ उत्तर जीविता‘‘ विषय पर त्रिदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय लाइव वेबीनार में बोल रहे थे।
कोरोना वायरस की आधारभूत संरचना और इसका उपाय करना पुरे विश्व के लिए चुनौती है। यह बातें उपरोक्त बेविनार के ही द्वितीय विषय विषेषज्ञ ‘‘अमेरिका के परड्यू विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग की बायोकेमिस्ट्री डिवीजन में कार्यरत वैज्ञानिक डाॅ.मोहिनी कामरा ने कहा।‘‘
इसी क्रम में उपरोक्त बेविनार के तीसरे अतिथि वक्ता लखनऊ स्थित भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान में कार्यरत डाॅ.अंकुर कुमार श्रीवास्तव ने कोरोना वायरस परीक्षण की तकनीकी प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी। आपने बताया कि कोविड-19 से संक्रमित मरीजों की पहचान हेतु तीन प्रकार की टेस्टिंग प्रक्रिया अपनायी जाती है। इनमें रियल टाइम पी.सी.आर.सबसे अच्छी प्रक्रिया है जिसमें लगभग 90 मिनट का समय लग जाता है। आपने बताया कि कोविड-19 का संक्रमण नेत्रों के माध्यम से भी होने की पुष्टि हुई है।
इस अन्तर्राष्ट्रीय वेबीनार में शिकागो, तंजानिया, नेपाल से भी लोगो ने प्रतिभाग किया। इस वेबीनार की संयोजक डाॅ.शशिप्रभा सिंह ने प्रस्ताविकी, स्वागत व संचालन किया।
अध्यक्षता प्राचार्य डाॅ.शैलेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि सामाजिक दूरी का पालन करना ही इस बीमारी से मुख्य बचाव है। वेबीनार के अन्त में डाॅ.प्रतिमा सिंह ने विशेषज्ञों, प्रतिभागियों और संस्था के प्रति आभार ज्ञापन किया।
वेबीनार में मुख्य रूप से डाॅ. राजेश सिंह, डाॅ.मनीश श्रीवास्तव, डाॅ.नितिश शुक्ला, डाॅ.आनन्द कुमार गुप्ता, डाॅ.पवन पाण्डेय, डाॅ.अमरनाथ तिवारी, श्री बृजेश विश्वकर्मा आदि ने सहयोग किया।

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