कुरआन की बातें (भाग 19)

कुरआन की बातें

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं।

हिन्दी व्याख्या: यह सूर: शबे क़द्र के महत्त्व के संबंध में है। यह महत्त्व भी निर्विवाद रूप से क़ुरआन शरीफ़ के कारण है। क़ुरआन शरीफ़ को इसी रात्रि में लौहे महफ़ूज़ (ईश्वर के सिंहासन, अर्श, पर स्थित एक तख़्ता है जहां तक ईश्वर की आज्ञा के बिना किसी की पहुंच नहीं है। उस तख़्ते पर सभी महत्त्वपूर्ण बातें लिखी हुई हैं, तथा आवश्यकतानुसार उतारी जाती हैं) से निचले आकाश पर अवतरित किया गया। (फिर आवश्यकतानुसार थोड़ा थोड़ा करके 23 वर्षों में हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर अवतरित किया जाता रहा।) इस प्रकार रात्रि के महत्त्व का उल्लेख करके वास्तव में उस रात्रि में अवतरित होने वाले पवित्र ग्रंथ, क़ुरआन शरीफ़ के महत्त्व एवं समसामयिक होने पर प्रकाश डाला गया है।

क़द्र के शाब्दिक अर्थ हैं: सम्मान, मूल्य, क़िस्मत तथा आकलन। सभी अर्थ यहां प्रासंगिक हैं। अर्थात यह रात्रि सम्मानजनक तथा मूल्यवान है। इस में क़िस्मत के निर्णय लिए जाते हैं तथा अपने कृत्यों के आधार पर लोगों का आकलन किया जाता है।

इस भूमिका के पश्चात आगे बताया गया कि यह इतनी महत्त्वपूर्ण है कि हजार महीनों से भी उसकी तुलना नहीं की जा सकती। वह रात्रि हजार महीनों से भी श्रेष्ठ है। (हजार शब्द गिनती मात्र न होकर असीम एवं अनगिनत विशेषताओं से परिपूर्ण होने का द्योतक है।) श्रेष्ठता का एक अन्य कारण भी है कि उस रात जिब्राईल अलैहिस्सलाम, जो कि फ़रिश्तों में श्रेष्ठ हैं, अन्य फ़रिश्तों के संग आकाश से नीचे उतरते हैं, तथा समस्त महत्त्वपूर्ण निर्णय लागू करते हैं। उस रात में जो कोई भी ईश्वर की वंदना में लीन रहता है उसके पक्ष में दुआ करते हैं तथा उससे हाथ मिलाते हैं।

यह रात्रि शान्ति एवं अमन का पर्याय है। चारों ओर शान्ति ही शान्ति व्याप्त है। शांति चाहने वालों के लिए बहुमूल्य वरदान है।

यह रात्रि सूर्यास्त के समय से प्रारंभ होकर ऊषाकाल तक रहती है।

इस रात्रि के संबंध में हदीस में भी वृहद वर्णन है तथा इस्लाम के अनुयायियों से अपेक्षा की जाती है कि इस को खोजें, पाने का प्रयास करें तथा नमाज़, क़ुरआन पाठ, दुआ एवं अन्य प्रकार से ईश्वर से अधिकाधिक लौ लगाएं। सामान्यतः यह रमज़ान मास के अन्तिम दस दिनों की ताक़ रातों में से किसी एक रात में होती है। इस को अपनी भक्ति से सुसज्जित करने वाला ऐसा है जैसे उसने हजार महीनों से अधिक समय तक ईश्वर के सान्निध्य का सुख प्राप्त कर लिया। भाग्य के निर्णय भी उसी रात में लिए जाते हैं तथा फ़रिश्तों के हवाले कर दिए जाते हैं। अतः इस रात्रि को अत्यंत मूल्यवान जाना जाता है तथा सद्कर्मों के द्वारा अल्लाह तआ़ला से अच्छे परिणाम की अपेक्षा की जाती है।

रिज़वान अलीग, email – [email protected]

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