(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं।
हिन्दी व्याख्या:- सूर: ग़ाशिय: (भाग 1), एक बार फिर क़ियामत के दिन का दो दृश्य इस सूर: में दृष्टिगोचर किया गया है। अंततः लोग दो समूहों में विभक्त होंगे। परिणाम के अनुरूप लोगों के चेहरे कैसे होंगे तथा उनका स्वागत किस प्रकार किया जाएगा, यही इस सूर: के प्रथम भाग का विषय है।
यहां मनुष्य न बोलकर चेहरा बोला गया है, इस का कारण यह है कि दु:ख-सुख का पहला प्रभाव चेहरे से ही व्यक्त होता है। किसी की मनोदशा का सही आकलन करने के लिए चेहरे पर ही ध्यान केंद्रित किया जाता है।
सबसे पहले उस दिन की भयावहता का वर्णन है कि एक आफ़त आएगी। वह सब चीजों पर छाई हुई होगी। क़ियामत का यह पहला दिन कितना कड़ा एवं भयानक होगा, अन्य सूर: में इसका वर्णन आ चुका तथा आगे भी आएगा। कोई उससे बच कर नहीं निकल सकेगा। ऐसा कि हर चेहरे पर हवाई उड़ रही होगी। जिस प्रकार मेहनतकश मजदूर अत्यधिक कार्य एवं संघर्ष के बोझ से हैरान परेशान दिखाई पड़ते हैं, या अग्नि के सान्निध्य में रहने वाले उस की तपन को चेहरे से छिपा नहीं पाते हैं, उसी प्रकार उस दिन कुछ विशेष प्रकार के लोग घबराहट एवं भविष्य में अनिष्ट की कल्पना में रत होंगे। ऐसे लोग वास्तव में अग्नि की ज्वाला में पड़ने वाले हैं।
वहां भी आतिथ्य में गर्म एवं खौलते हुए पानी से उनकी प्यास बुझाई जाएगी। भूख लगने पर खाने के लिए शुश्क कंटीली झाड़ियों को परोसा जाएगा। खाने का कोई लाभ नहीं मिलेगा, न तो उससे पेट भरेगा और न ही ऊर्जा का संचार होगा।
नर्क में खाने-पीने के सामान के तौर पर क़ुरआन की विभिन्न आयतों में अलग-अलग वस्तुओं का नाम आया है। गर्म पानी, रक्त एवं पीप पीने के लिए तैयार मिलेगा। उसी प्रकार खाने को कड़वा-कसैला फल, घांस-फूस तथा घावों का धोवन परोसा जाएगा। यह केवल यह बताने के लिए है कि अनन्य व्यक्तियों के लिए पृथक साजो-सामान होगा। या उन्हें विकल्प के तौर पर उससे भी घटिया वस्तु उपलब्ध कराई जाएगी। कहीं भी दया नहीं दिखाई जाएगी। अपमान एवं कुंठा का चरमोत्कर्ष होगा। यह व्यवहार उन लोगों के वास्ते किया जाएगा जो संसार के इसी जीवन को सब कुछ मान कर इस पर रीझे हुए थे। ईश्वर के संदेश्टा उन्हें सत्यमार्ग की ओर आमंत्रित करते थे, पर इनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगती थी। वे ईशदूतों का उपहास उड़ाया करते थे तथा उनके अनुयायियों को मूर्ख समझते थे। परिणामस्वरूप, धरती उनके कुकृत्यों से भर गई थी तथा मानवता कराह रही थी।
जबकि दूसरी ओर चहेते लोग होंगे। कोमल चेहरे वाले एवं संतुष्ट। स्वर्ग के ऊंचे-ऊंचे बगीचों में ठाट-बाट से बैठे होंगे। जीवन की भागदौड़ एवं कोलाहल से दूर। स्वर्ग के उन बगीचों के अंदर दूध, मधु एवं अन्य पेयपदार्थों की नदियां/नहरें बहती होंगी। ऊंचाई पर बिस्तर बिछे हुए, हर समय मनपसंद पेयों से भरे हुए प्याले धरे हुए, गाव-तकिये क्रमबद्ध रखे हुए, तथा कालीनों से सुसज्जित फर्श। संसार में जिस ऐश्वर्य एवं आराम की कोरी कल्पना की जा सकती है, वह पूर्ण रूप से वहां बिना मांगे उपलब्ध रहेगा। यह आतिथ्य सत्कार उन नेक एवं सदाचारी लोगों के लिए तैयार होगा जिन्होंने इस संसार के मोह में स्वयं को नहीं डाला तथा ईश्वर से डरते हुए उसके आदेशों को सदैव सर्वोपरि रखा। उनकी विशेषता यह बताई गई कि वे संसार में किये गये अपने कृत्यों से संतुष्ट होंगे। उन्होंने रसूलों की बातों पर विश्वास करके कुछ ग़लत नहीं किया। उस के परिणाम के तौर पर जो कष्ट सहा, उस का भरपूर पुरस्कार प्राप्त कर के वे संतुष्ट हैं।
रिज़वान अलीग, email – [email protected]