(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं।
हिन्दी व्याख्या:- सूर: इंफ़ितार, क़ियामत के दिन का दृश्यांकन / दृश्यावलोकन एक बार फिर इस सूर: के द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यहां चार संभावित दृश्य प्रस्तुत किए गए हैं जिनके साथ क़ियामत (प्रलय) का आगमन होगा।
आकाश, जिसमें कोई छिद्र ढूंढने से भी नहीं मिलेगा, उस दिन फट जायेगा। सूर: अम्बिया में इस के आगे की स्थिति भी उल्लिखित है कि उसे फाइल की भांति लपेट दिया जाएगा। आकाश के फटने तथा लपेटे जाने से तात्पर्य यह भी है कि सुरक्षा का जो आभास आकाश की ओर से होता था वह समाप्त हो जाएगा। आकाश में स्थित सभी चीजें अस्त-व्यस्त हो जाएंगी। सूर्य, चन्द्रमा, तारे, ग्रह, नक्षत्र तथा जो कुछ भी कोई आकाश के संबंध में जानता है या आगे जानने की संभावना है, वह सब तितर-बितर हो जाएगा और कुछ भी सामान्य नहीं रह जाएगा। यही अर्थ अगली (दूसरी) आयत का है जिसमें तारों के बिखर जाने का वर्णन है।
तीसरा अद्भुत कार्य समुद्र के संग होगा। वह भी फट जायेगा। क़ुरआन में अन्यत्र है कि समुद्र में आग लग जाएगी। अब यह कैसे संभव है, आज के वैज्ञानिक युग में इस का कारण खोजा जा सकता है। चौदह सौ वर्षों पूर्व यह एक अप्राकृतिक, भयंकर एवं प्रलयंकारी घटना के रूप में पढ़ा तथा सुना गया होगा। क़ुरआन मजीद का एक चमत्कार यह भी है कि हर युग में इस की आयतों की व्याख्या सुंदर ढंग से की जा सकती है।
चौथी घटना क़ब्रों से संबंधित है। वे खोल दी जाएंगी तथा अंदर जो कुछ है सामने आ जाएगा। मनुष्य जो वहां दफ़न किए गए हैं वे अपने सभी भले-बुरे कार्यों के रिकॉर्ड संग उठ खड़े होंगे। यहां केवल क़ब्रों का उल्लेख कर के सभी मुर्दों को लिया गया है जो किसी न किसी रूप में धरती का अंग बन चुके हैं। जल कर अथवा पानी में डूब कर मरने वालों का हश्र इससे इतर नहीं होगा।
यह चारों घटनाएं जब प्रकट हो चुकेंगी तब अगले पिछले सभी लोगों को समझ में आ जाएगा कि दुनिया में उन का जीवन सकारात्मक रहा है कि नकारात्मक। कौन से कार्य उसने ऐसे किये हैं जिनका उनको लाभ मिलने वाला है तथा कौन से कृत्य वहां उसे शर्मिंदा करने वाले हैं। निश्चित ही अच्छे कर्म जो उस ने आगे भेजा तथा मृत्यु से पहले ही मृत्यु के बाद होने वाले घटनाक्रम की तैयारी कर ली है उनके कारण वह उस दिन प्रसन्न एवं निश्चिंत होगा। जो अच्छे कार्य करने से चूक गया और जो संसार में ही पीछे छूट गए वे उस दिन पछतावे का कारण बनेंगे।
यह हल्की सी झलक दिखला कर अल्लाह तआ़ला ने मनुष्य को – सामान्य जनमानस को – प्रत्यक्ष रूप से सम्बोधित करता है “हे मानव, तुम्हारे महा दयालु रब (पालनहार) के प्रति तुम्हें किसने धोखे में डाल रखा है?” इस एक वाक्य में अल्लाह तआ़ला ने बहुत कुछ कह दिया है। तुम्हारा रब दयालु है। उसने तुम्हारे मांगे बिना तुम पर (प्रत्येक व्यक्ति पर) कितना उपकार किया है कि तुम गिन नहीं सकते। मां के पेट से लेकर जीवन के हर पल पर तुम दृष्टिपात करो तो कृतज्ञतापूर्वक सदैव झुकने पर मजबूर हो जाओगे। सब कुछ करने वाला जब अल्लाह है तो तुम किसी अन्य को उसका श्रेय क्यों देते हो। जिस मस्तक को उसने तुम्हारे लिए सम्मान सूचक बनाया है, उसे ईश्वर से कमतर वस्तुओं के आगे क्यों झुकाते हो। वह शैतान है जिसने तुम्हें धोखे में डाल रखा है। क़ुरआन में एक अन्य स्थान पर शैतान को महा धोखेबाज की संज्ञा दी गई है। (क़ुरआन 57:14)
वह दयालु रब ऐसा है जो हमसे अधिक हमारा ख़्याल रखता है। उसने हमें केवल पैदा ही नहीं किया बल्कि उत्तम कृति में संरचना की। एक-एक अंग को अत्यधिक उपयोगी एवं उत्कृष्टतम बनाया। न कोई अंग छोटा न बड़ा बनाया। उस अनुपात में ही बनाया जितने की हमें आवश्यकता थी। जिस रूप में चाहा तुम्हारी संरचना की। पशु-पक्षी, जीव-जंतु, निर्जीव लकड़ी-पत्थर अथवा पेड़-पौधे नहीं, वरन् जीते-जागता इंसान बनाया। बुद्धि प्रदान की। सामाजिक जीवन प्रदान किया। उसे अन्य वस्तुओं से न केवल श्रेष्ठ अपितु सब को उसके अधीन बनाया तथा उसे सब पर अधिकार दिया। वास्तव में मनुष्य यदि सोचे तो उस की सृजनात्मक शक्ति के समक्ष स्वयं नतमस्तक हो जाए। इसी लिए सोचने समझने वाले मनुष्य से अल्लाह तआ़ला यह प्रश्न कर रहा है कि इतना कुछ देखने एवं समझने के उपरांत भी तुम ईश्वर से दूर क्यों हो? तुम्हें कोई और कैसे धोखा दे सकता है?
फिर ईश्वर ने स्वयं उनके विचारों की ख़बर लेते हुए उन्हें फटकार लगाई है कि कदापि नहीं, तुम्हारे सोचने की धारा अन्य दिशा में जा रही है। वास्तविकता यह नहीं है कि तुम को यह बात समझ में नहीं आती है, बल्कि असल में तुम स्वच्छंद विचरण करना चाहते हो। ऐसा इस कारण है कि तुम को क़ियामत तथा हिसाब किताब के दिन पर विश्वास नहीं है। तुम उसे झूठ समझते हो। तुम यह नहीं समझते हो कि वहां तुम्हें बुरे कामों का जवाब देना पड़ेगा। तुम जानते नहीं हो कि तुम्हारे ऊपर निगरानी करने के वाले फ़रिश्ते तैनात हैं। वे अत्यंत सज्जन हैं। झूठ से कोसों दूर हैं तथा प्रत्येक आचार-विचार को लिखते रहते हैं। ऐसा नहीं है कि वे किसी बात से अनभिज्ञ हैं। नहीं, वे खुली एवं छिपी सभी बातों से भिज्ञ हैं। तुम उजाले-अंधेरे में जो कुछ करते हो, उन्हें सब ख़बर रहती है।
अब क़ियामत के दिन की सारी घटनाएं उनके द्वारा उपलब्ध कराई गई सामग्री के अनुरूप ही होगी। अतः नेक लोग पुरस्कृत होंगे तथा दुष्टों को अग्नि का पात्र बनाया जाएगा, जहां वे डाले जाएंगे। उनका कोई बस नहीं चलेगा। न तो वहां से भाग सकेंगे, न ही घूस-सिफ़ारिश अथवा जोर-जबरदस्ती से वहां से बाहर निकलना संभव होगा।
अल्लाह तआ़ला पूछते हैं कि क़ियामत का दिन क्या तथा कैसा है, यह ईश्वर की मर्ज़ी के बिना कोई नहीं जान सकता। और यहां ध्यान आकृष्ट कराते हुए ईश्वर ने क़ियामत तथा हिसाब किताब की वास्तविकता से इस प्रकार अवगत कराया कि यह ऐसा दिन होगा जब किसी का किसी से यारा नहीं होगा। कोई किसी के काम नहीं आ सकेगा। हर व्यक्ति ईश्वर के आगे असहाय तथा उसकी कृपादृष्टि का आकांक्षी होगा। उस दिन सम्पूर्ण राजसत्ता अकेले ईश्वर की ही होगी। अतः बुद्धिमत्ता इसी में है कि आज समय रहते उसे मना लिया जाए तथा भक्ति एवं उपासना में उस के अतिरिक्त किसी अन्य को साझीदार न बनाया जाए।
रिज़वान अलीग, email – [email protected]