(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं।
हिन्दी व्याख्या:- सूर: तकवीर (भाग 1), प्रारम्भिक तेरह आयतों में क़ियामत आने से पूर्व की कुछ अभूतपूर्व घटनाओं का उल्लेख है। जब यह सब घटित होगी, तब लोगों को आभास होगा कि जो काम संसार में करना चाहिए था वह नहीं कर सके। उनके कर्मों के रजिस्टर में ऐसा कोई कार्य दर्ज नहीं है जो मरने के उपरांत तथा क़ियामत की इस घड़ी में उपयोगी सिद्ध हो सके।
उत्तरार्द्ध में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तथा क़ुरआन मजीद में आस्था रखने को आमंत्रित किया गया है। जब यह ग्रंथ सत्य पर आधारित है, इस का प्रस्तुतिकरण एक ईमानदार व्यक्ति के द्वारा किया गया है, उन तक यह संदेश पहुंचाने वाले स्वयं श्रेष्ठ एवं सम्मानित हैं तथा ईश्वर की ओर से इसे अवतरित किया जा रहा है जो स्वयं सभी अच्छाइयों का स्रोत है, तब तुम्हारा इस पुस्तक को संदेह की दृष्टि से देखना समझ से परे है।
सबसे पहले सूर्य के बारे में बताया गया कि उसे लपेट दिया जाएगा। अर्थात् प्रकाश, गर्मी तथा ऊर्जा का स्रोत अपने कर्त्तव्यों से विमुख हो जाएगा। दूसरी अप्राकृतिक घटना यूं होगी कि तारे अपनी चमक खो देंगे, अपने स्थान से गिर पड़ेंगे। वह जो आकाश की शोभा बढ़ाने तथा यात्रियों को रास्ता दिखाने का कार्य करते थे उनकी यह क्षमता समाप्त हो जाएगी। पर्वत जो धरती का स्तम्भ हैं तथा विशालता एवं सुदृढ़ीकरण में जिनका उदाहरण दिया जाता है उस दिन वे इतने भारहीन/भारविहीन हो जाएंगे कि अपने स्थान पर स्थिर नहीं रहेंगे तथा उड़ते फिरेंगे। वह ऊंटनी जिस का गर्भ अंतिम चरणों में होता है उसका बहुत मान-सम्मान होता है तथा दिन-रात उनकी सेवा होती है। पर वह ऐसी घड़ी होगी कि लोग उसकी चिंता करना छोड़ देंगे तथा वह मारी मारी फिरेगी। वनों में जब कोई आफ़त आती है तो सभी पशु-पक्षी एक स्थान पर एकत्रित हो जाते हैं। क़ियामत आने के समय भी ऐसा ही दृश्य देखने को मिलेगा। समुद्र में आग लग जाएगी। आज के वैज्ञानिकों ने इस की व्याख्या करने का प्रयास किया है कि पानी (H2O) का एक अंश ऑक्सीजन भी है। यदि किसी प्रकार उसमें से हाइड्रोजन को पृथक कर दिया जाए, तो वह ज्वलनशील पदार्थ हो जाता है। लेकिन वैज्ञानिकों के दृष्टिकोण से इतर यह तय है कि जब अल्लाह ने फ़रमाया है तो ऐसा अवश्य होगा तथा ऐसा संभव बनाने के लिए उसके पास अनेकों उपाय हैं जिन तक मनुष्य की दृष्टि नहीं पहुंच सकती।
क़ियामत कई चरणों में होगी। एक तो यह खगोलीय घटनाओं, अप्राकृतिक दृश्यों तथा अमानवीय व्यवहार के रूप में घटित होगी। दूसरे चरण में प्राणियों को पुनर्जीवित किया जाएगा ताकि वे अपने कृत्यों के अनुरूप फल प्राप्त कर सकें। तीसरा चरण तब प्रारंभ होगा जब अल्लाह का दरबार सजेगा तथा अगले पिछले समय के सभी लोग कतारबद्ध होकर रब के समक्ष उपस्थित होंगे तथा प्रश्नों का उत्तर देंगे। यह दोनों स्थितियां यहां हैं। प्राणों को उनके शरीरों से जोड़ कर दोबारा जीवित किया जाएगा तथा अरब की अति अमानवीय घटना की याद दिलाते हुए कहा गया कि जीवित पुत्रियां जिन्हें जीते-जी मिट्टी में दफ़न कर दिया जाता था, कम से कम उस दिन अवश्य न्याय पा जाएंगी। ज्ञातव्य हो कि इस्लाम के उद्भव से पूर्व लड़कियों को अपमान की वस्तु समझा जाता था तथा उसके विवाह के समय छोटा न बनना पड़े अतः उन्हें छोटी उम्र में ही गड्ढा खोद कर गाड़ दिया जाता था। हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस कुप्रथा को समाप्त किया तथा बेटियों को वह सम्मान दिया जिसकी वे अधिकारी थीं।
वह न्याय दिवस है। उस दिन सबके रिकॉर्ड खंगाले जाएंगे। हर बात सबूतों के द्वारा सिद्ध की जाएगी। किसी के साथ अन्याय नहीं होगा।
आकाश का आवरण छिलके की भांति खींच कर अलग कर दिया जाएगा। फिर जब आवरण हटेगा तो नर्क एवं स्वर्ग का नजारा दिखेगा। नर्क में अग्नि का वीभत्स रूप देखने को मिलेगा। ज्वाला भड़क रही होगी। एक शोर सा मचा होगा। हर देखने वाला उससे पनाह मांगेगा। दूसरी ओर स्वर्ग का सुखमय दर्शन होगा। स्वर्ग को निकट ला दिया जाएगा। हर कोई लालसा भरी दृष्टि से उसकी ओर आकर्षित होगा तथा ईश्वर से कामना करेगा कि स्वर्ग उसका भाग्य बन जाए। जब यह सब होगा, तो हर किसी को अपना किया-धरा याद आ जाएगा। सबको समझ में आ जाएगा कि जिस बात का रसूल (ईश्वरीय दूत) वचन दिया करते थे वह सत्य था तथा जिस नर्क के दण्ड से डराया करते थे वह कोरी कल्पना नहीं थी वरन् एक वास्तविकता थी जिससे अब साक्षात्कार होने वाला है। नेक लोग अपने ईशभय वाले जीवन के कारण आज संतुष्ट होंगे तथा समुचित पुरस्कार की प्रतीक्षा में होंगे। बुरे लोगों के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही होंगी। एक अनजाने परिणाम की अपेक्षा में उनके प्राण सूख रहे होंगे।
रिज़वान अलीग, email – [email protected]