कुरआन की बातें (भाग 46)

कुरआन की बातें

सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं।

हिन्दी व्याख्या:- सूर: नबा (भाग 2), प्रथम सोलह आयतों में लोगों के परस्पर विवाद एवं क़ियामत आने में संशय व्यक्त करने का वर्णन था। फिर अल्लाह तआ़ला ने तार्किक ढंग से ब्रह्मांड की अन्यान्य वस्तुओं के संदर्भ में क़ियामत के निश्चित आगमन को सिद्ध किया है।

इन आयतों में क़ियामत के संबंध में अन्य जानकारियां दी गई हैं। पहले तो यह कहा गया कि क़ियामत तो निर्विवाद रूप से आ कर रहेगी। उसका समय निर्धारित है पर उसे प्रकट नहीं किया गया है। वह अचानक आ जाएगी। उसका आरम्भ एक शंखनाद से होगा। हदीस के अनुसार एक फ़रिश्ते, हज़रत इस्राफ़ील अलैहिस्सलाम, को हाथों में सूर (शंख की भांति एक वस्तु) लेकर तैनात कर दिया गया है। आदेश प्राप्त होते ही वो उस में फूंक मारेंगे। (तिरमिज़ी: 2431) उसकी ध्वनि इतनी कर्कश एवं भयंकर होगी कि सभी जीव अचेतावस्था में चले जाएंगे। क़ुरआन मजीद में भी है कि उसकी तेज़ आवाज़ से गर्भवती महिलाओं का गर्भपात हो जाएगा तथा दूध पिलाने वाली माताएं दूध छुड़ा देंगी। (क़ुरआन 22:2) फिर सभी अगले पिछले समय के लोग समूह दर समूह क़ियामत के मैदान में इकट्ठा हो जाएंगे। किसी को नकारने या आलस्य करने की स्वतंत्रता नहीं होगी। आकाश जिसमें आज कोई छिद्र ढूंढने से नहीं मिलता, उस दिन ऐसा खोल दिया जाएगा कि प्रवेश के लिए न कोई कतार लगेगी, न ही किसी को प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। पर्वत जो आज दृढ़ता एवं अटलता का पर्याय हैं, उस दिन ऊन तथा धुनी हुई रूई की भांति बेवजन हो जाएंगे तथा इधर-उधर उड़ते फिरेंगे। ऐसा प्रतीत होगा जैसे वे वहां कभी थे ही नहीं।

इन प्रारंभिक प्रतीकों एवं निशानियों के पश्चात् संसार में किये गये कार्यों की समीक्षा की जाएगी। नर्क तो ऐसे लोगों को स्वीकारने में इतनी तत्परता दिखाएगी जैसे वह पहले से ही इस अवसर की ताक में थी। अतिवादियों तथा ईश्वर के शत्रुओं को अब वह उपयुक्त यातना के लिए तैयार होगी। यह ताड़ना व प्रताड़ना एक-दो दिन के लिए नहीं अपितु युगों-युगों के लिए होगी। वहां भड़कती हुई अग्नि की ज्वाला होगी जो इस संसार की अग्नि से 70 गुणा अधिक गर्म होगी। उस गर्मी से भागना चाहेंगे मगर शीतलता का कहीं अनुभव नहीं हो सकेगा। वहां गर्मी के मारे प्यास लगेगी पर पानी नहीं उपलब्ध होगा। केवल खौलता हुआ पानी ही मिलेगा जिससे प्यास नहीं बुझती अथवा घावों से निकलने वाली पीप या घाव धोने वाला पानी प्रेषित किया जाएगा जिसे देखते ही घिन आती है तथा दुर्गंध से बचने को मन तैयार होता है।

संक्षेप में यह कहना न्यायोचित होगा कि ईश्वर की अवज्ञा, अवमानना, उस के भक्तों एवं जनसामान्य के संग अन्याय, अहंकार, लोभ, स्वार्थ, अत्याचार एवं धरती को बिगाड़ से भरने की उनकी प्रवृत्ति के लिए इस से बुरा कोई अन्य ठिकाना नहीं हो सकता। यह उनके कुकर्मों की सम्पूर्ण एवं उपयुक्त सजा का स्थान सिद्ध होगा।

संसार में जब ईश्वर ने इन्हें बुद्धि, यश, संपदा, शक्ति एवं सत्ता से अनुग्रहीत किया था, तब इनके अंदर ऐसा दम्भ एवं अभिमान भर गया था कि ईशदूत इसे आज के दिन तथा इस की यातनाओं का वर्णन करते थे पर यह उन बातों पर कान नहीं धरते थे। उन्हें यह सब बातें काल्पनिक लगती थीं। उनके मस्तिष्क में ऐसा होना असंभव प्रतीत होता था। अतः इसे खूब झुठलाया करते थे।

जबकि हमने प्रत्येक वस्तु को गिन-गिन कर रखा था। हमारे यहां हर चीज़ एक रजिस्टर में दर्ज है। अब चखो मज़ा अपने करतूतों का। अब राहत की कोई बात नहीं होगी। अब तो बस अ़ज़ाब बढ़ेगा क्योंकि कर्म का समय समाप्त हो चुका है।

रिज़वान अलीग, email – [email protected]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *