सर्वप्रथम अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं।
हिन्दी व्याख्या:- सूर: नबा (भाग 3), यह इस सूर: का अंतिम भाग है। इससे पहले नर्क वासियों की चर्चा हो चुकी है। नर्क उनकी प्रतीक्षा में होगी तथा उससे छुटकारा नहीं मिलेगा। कष्ट एवं यातनाओं की अकल्पनीय श्रृंखला से वहां साक्षात्कार होगा जिस को सोच कर ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं।
अब यहां स्वर्ग की स्थितियों का वर्णन तथा तदुपरांत् उन लोगों के विचारों को नकारा गया है जो समझते हैं कि ईश्वर के वहां भी अनुरोध/अनुशंसा/संस्तुति अथवा पक्षपात/पैरवी से बच जाएंगे।
स्वर्ग की पहली भलाई तो यही है कि वहां सफल व्यक्ति ही जाएंगे। इस संतुष्टि के अतिरिक्त वहां आवभगत में कोई कमी नहीं होगी। स्वर्ग के सेवक पलक-पांवड़े बिछाए आतिथ्य सत्कार में कोई चूक नहीं करेंगे। अब वहां प्रत्येक वस्तु न केवल हलाल होगी अपितु सर्व सुलभ भी होगी। कोई रोक-टोक भी नहीं होगी तथा उस सांसारिक भय का भी नामोनिशान नहीं होगा मरने के बाद बुरे परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
बगीचे होंगे, वह भी प्रचुर मात्रा में। उनमें भी विशिष्ट रूप से अंगूर की सभी प्रजातियां उपलब्ध होंगी। सेवा में हूरें होंगी। अर्थात् नवयुवतियां जो यौवन से भरपूर एवं समान आयु की होगी। शराब के छलकते हुए जाम/प्याले होंगे। क़ुरआन मजीद में एक अन्य स्थान पर आया है कि उस मदिरा में मादकता नहीं होगी तथा शरीर पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। (क़ुरआन 37:47 एवं 56:19) एक अन्य लाभ यह होगा कि फ़ालतू बकवास तथा झूठी बात सुनने को नहीं मिलेंगी। वहां शांति ही शांति होगी, तथा झूठ बोलने या सुनने के तनाव से मुक्ति मिल जाएगी। यह एक अलग प्रकार का बदला है, नर्क वासियों को मिलने वाले परिणाम से सर्वथा भिन्न – जिस के अंतर्गत वह पालनहार तथा कृपा शील ईश्वर अपने भक्तों से प्रसन्न होकर सब कुछ प्रदान कर देगा। यह तो पर्याप्त पुरस्कार है उनके सद्कर्मों का। ईश्वर आगे भी असीम कृपा बनाए रखेगा। उसके ख़ज़ाने में कोई कमी नहीं है, वह तो आकाशों एवं धरती को पालने वाला है। उसका ख़ज़ाना कभी ख़त्म नहीं होगा। कृपा करना उसका स्वभाव है। अतः यह भी नहीं है कि वह अपनी कृपा कभी बंद भी कर देगा।
पर उस के कृपालु होने का कत्तई यह अर्थ नहीं है कि वह न्यायप्रिय नहीं है। स्वर्ग में प्रवेश उन्हीं को मिलेगा जो उसके मानक पर खरे उतरेंगे। अन्य किसी को उससे बात करने तक का अवसर नहीं मिलेगा।
उस दिन तो फ़रिश्ते और उनके सरदार हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम भी एक कतार में खड़े होंगे। वे बात भी नहीं कर सकेंगे। हां, जिन चुनिंदा लोगों को वह आज्ञा देगा, बस वही सिफारिश करेंगे तथा अपने मुख से सत्य वचन/कथन ही निकालेंगे। किसी अपात्र के पक्ष कदापि नहीं बोलेंगे। यह दिन एक तथ्य है। अतः बुद्धिमत्ता यही है कि अपना ठिकाना अपने पालनहार के समीप बना लिया जाए।
नबी (ईशदूत) ने रब की ओर से संदेश ज्ञापित कर दिया तथा उस ईश्वरीय प्रकोप से डरा दिया जो निकट आ लगा है। उस दिन सभी लोग अपने करतूतों से अवगत कराये जाएंगे। सब का हिसाब किताब बराबर किया जाएगा। यहां तक कि पशु-पक्षियों ने भी जो अत्याचार किया होगा उसका भी बदला दिया जाएगा। फिर पशु-पक्षी को मिट्टी बना दिया जाएगा। मानव जब यह देखेगा और काफ़िर यह समझ जाएगा कि उसे अब सदैव के लिए नर्क में कोपभाजन करना है, तो वह कामना करेगा कि काश वह भी जीव-जंतु होता तथा उसका हश्र भी मिट्टी बन जाना होता। यह सब बातें ईश्वर ने भविष्य के चित्र में दिखा दी हैं। बुद्धिमान व्यक्ति इस से सीख लेकर अनंतकाल के अ़ज़ाब और ताड़ना से बच सकता हैं।
रिज़वान अलीग, email – [email protected]