(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं।
हिन्दी व्याख्या:– इस हदीस में साफ़-साफ़ यह बता दिया गया है कि इस्लामी तरीके में स्पष्ट रूप से हराम और हलाल की व्याख्या कर दी गई है। ह़लाल का मतलब वह काम जो आदमी कर सकता है और जिस के बारे में क़ुरआन मजीद और हदीस में कोई मनाही/निषेध नहीं है। इस के विपरीत ह़राम वह है जिसे करने से एक आस्थावान व्यक्ति को रोका गया है।
मोटे तौर पर कहा जाए तो शराब पीना, ब्याज लेना-देना, रिश्वतखोरी, ज़िना (व्यभिचार/बलात्कार), शिर्क (बहुदेव वाद), ख़ून (रक्त), बिना वैध कारण किसी की हत्या करना, अत्याचार करना, सुअर अथवा मांसाहारी पशु-पक्षियों को खाना, दूसरे का माल हड़पना आदि ह़राम काम हैं। इनसे आस्थावान को हर हाल में बचना है, अन्यथा दुनिया में उस का दुष्परिणाम मिले या न मिले, मरने के बाद अल्लाह की अदालत में उसे जरूर सज़ा मिलेगी।
इनके अलावा अधिकतर चीजें ह़लाल हैं। सभी प्रकार की अच्छाइयां, नेकी के काम, ईमानदारी से की गई कमाई, हलाल पशु-पक्षी का मांस, निकाह, तथा ग़रीब-अनाथ-पीड़ित एवं बेचारे / बेसहारा लोगों की सहायता करना न केवल हलाल बल्कि पुनीत कार्य है। दूसरों के सुख-समृद्धि और आराम एवं अधिकारों का ध्यान रखना आस्थावान भक्तों का कर्तव्य है।
परन्तु कुछ चीजें ऐसी हैं जिनके बारे में हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ओर से स्पष्ट आदेश नहीं मिला, अथवा वे बाद के समय में सामने आईं जिनके सही अथवा ग़लत होने के संबंध में दुविधा हो, तो ऐसे कार्य को छोड़ देना ही श्रेयस्कर है। इस से आदमी विश्वास के साथ ईश्वर की इच्छा के अनुरूप जीवन यापन करने में सफल होता है, तथा अनजाने में ईश्वर की अवज्ञा करने से बच जाता है। इस को एक उदाहरण से समझाया गया। यदि किसी प्रतिबंधित क्षेत्र की सीमाओं से करीब किसी जानवर आदि को चराया जाएगा तो इस बात की अधिक संभावना है कि चरते-चरते वह उस प्रतिबंधित क्षेत्र में भी प्रवेश कर जाए। अर्थात् छूट का लाभ लेते-लेते हलाल की सीमा पार कर हराम कार्य कर जाए। इसी लिए संदेह वाली चीजों से बचने को कहा गया है।
रिज़वान अलीग, email – [email protected]