गोरखपुर:यू.जी0सी0-ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेण्ट सेण्टर, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के तत्त्वावधान में आयोजित 1st Faculty Induction Proramme के अन्तर्गत आज प्रथम सत्र में लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग की आचार्या डॉ0 अपर्णा गोडबोले द्वारा प्लेरिज्म अर्थात् किसी के विचारों, शब्दों या कृति को को अपना बताकर प्रयोग करने की क्रिया विषय, पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। डॉ0 गोडबोले ने अपने व्याख्यान में व्यक्तिगत, सामाजिक एवं शैक्षिक क्षेत्र में नैतिक मूल्यों में गिरावट पर गहरी चिन्ता व्यक्त की तथा इससे बचने पर जोर दिया। उनका मानना है कि किसी भी स्तर पर विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में नैतिक मूल्यों आदर्शों की रक्षा होनी चाहिए। शोध के क्षेत्र में चर्चा करते हुए डॉ0 गोडबोले का कहना था कि किसी दूसरे की भाषा, विचार, उपाय शैली आदि का अधिकान्ततः नकल करते हुए अपने मौलिक कृति के रूप में प्रकाशन करना साहित्यीक चोरी कहलाती है। साहित्यीक चोरी तब मानी जाती है जब हम किसी के द्वारा लिखे गये साहित्य को बिना उसका संदर्भ दिये अपने नाम से प्रकाशित कर लेते हैं। इसके लिए 2017 ई0 में रेगुलेशन पारित कर साहित्यीक चोरी पर रोक लगाने का प्रयास किया गया है।
इस सत्र में एच0आर0डी0सी0 के निदेशक प्रो0 रजनी कान्त पाण्डेय, प्रो0 सुधीन कुमार श्रीवास्तव और प्रो0 सुषमा पाण्डेय, समन्वयक सहित अन्य प्रतिभगीगण उपस्थित रहे। आभार ज्ञापन डॉ0 राकेश कुमार सिंह, सह आचार्य, प्राचीन इतिहास विभाग, बी0आर0डी0बी0डी0पी0जी0 कालेज, आश्रम बरहज, देवरिया द्वारा किया गया।
द्वितीय सत्र में डॉ0 सुजीत मिश्र, शिक्षा शास्त्र विभाग, गुरू घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा रिसर्च फॉर प्रोफेशनल डेवलपमेण्ट विषय पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। डॉ0 मिश्र ने अपने व्याख्यान में एक शिक्षक को किस प्रकार से अपने शिक्षण में व्यवसायिकता लाना है, इस पर जोर दिया। इसके लिए शिक्षक को नकारात्मकता पर ध्यान न देकर अपनी सोच हमेशा सकारात्मक रखनी चाहिए। छात्रों के साथ अत्यन्त व्यावहारिक सम्बन्ध निर्मित करने चाहिए। अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों को पूर्ण नैतिकता एवं ईमानदारी के साथ निर्वहन करना चाहिए। साथ ही डॉ0 मिश्र ने शोध की विभिन्न विधियों को किस प्रकार उपयोग करें इस तथ्य पर भी अपना दृष्टिकोश रखा। प्रो0 मिश्र का उपरोक्त उद्बोधन अत्यन्त सारगर्भित एवं तारमयतायुक्त था।
तृतीय सत्र में प्रो0 सुनीता मुर्मू, आचार्य, अंग्रेजी विभाग, दी0द0उ0 गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा Who inlightened us with understanding and developed options for students after higheducation through career, guidance in very effective manner. She has touch all the auspecs of the topics. Welcome note was given by Prof. Sudhir Kumar Srivastava and thanks note was given by Dr. Rizvana, Assistant Prof., Dept. of Psychology, P.P.N. College, Kanpur.