गोरखपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत शोध की गुणवत्ता पर विशेष जोर दिया गया है। सभी विश्वविद्यालयों में रिसर्च एन्ड डेवेलपमेंट सेल का गठन होना चाहिए। किसी भी राष्ट्र की शक्ति में वृद्धि के लिए अर्थव्यवस्था और शिक्षा का मजबूत होना बहुत आवश्यक है। एनईपी 2020 भारत को शैक्षिक महाशक्ति बनाने के दिशा में एक प्रयास है। शोधार्थियों के भीतर एक जुनून होना चाहिए, तभी वास्तविक शोध संभव हो सकेगा। शोधार्थी में शोध के प्रति निष्ठा और समर्पण होना चाहिए। शोधार्थी जब शोध को विजन और मिशन के रूप में लेंगे तभी गुणवत्तापूर्ण शोध हो सकेगा। गुणवत्तापूर्ण शोध होने से शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। दोंनो के समन्वय से संस्थान की गुणवत्ता बढ़ेगी।
उक्त वक्तव्य दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के यूजीसी-एचआरडी सेंटर द्वारा गुड एकेडमिक रिसर्च प्रैक्टिस विषय पर अयोजित की गई चतुर्थ एवं अंतिम राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी बोधगया बिहार के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने दिया।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए एचआरडी सेंटर के निदेशक प्रो. रजनीकांत पाण्डेय ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश एवं सुझाए गए विषयों अंतर्गत चतुर्थ राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन गुड एकेडमिक रिसर्च प्रैक्टिस विषय पर चर्चा के लिए था। एनईपी के क्रियान्वयन के लिए लगातार ऐसे विमर्श आयोजित किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता बल्कि राष्ट्र निर्माण का प्रयास भी किया जा रहा है।
कार्यशाला के महत्व एवं उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए समन्वयक एवं अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार शुक्ला ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति उन मानदंडों को लागू करना चाहती है, जिससे शोध की गुणवत्ता बढ़े और वैश्विक मापदंडों पर खरा उतरे। शोध की गुणवत्ता से शिक्षक और संस्थान दोनों का आंकलन होता है।
कार्यक्रम का संचालन सह समन्वयक एवं समाजशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य डॉ. मनीष पाण्डेय ने किया। डॉ तनु श्रीवास्तव ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी। डॉ आभा द्विवेदी, डॉ छाया सिंह एवं डॉ अकील अहमद ने तकनीकी सहयोग दिया। इस दौरान विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के 251 प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में ऑनलाइन सहभागिता किया। इसे ज़ूम एवं यूट्यूब लाइव के माध्यम से संचालित किया गया।