गोरखपुर विश्वविद्यालय: दक्षिण एशियाई देशों के परस्पर निकटता से भाषा और साहित्य का अध्ययन और सार्थक होगा- प्रो. आर. टी. बेद्रे

गोरखपुर विश्वविद्यालय

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के यूजीसी-एचआरडी एवं अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के छठे दिन के प्रथम सत्र में प्रो. आर. टी. बेद्रे, निदेशक, यू. जी. सी. एच. आर. डी. सी. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर ने भारतीय भाषा और साहित्य के अन्तर्विषयक अध्ययन पर अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि दक्षिण एशिया के साथ अन्तर्राष्ट्रीय भाषिक और साहित्यिक अध्ययन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। अपने संबोधन में उन्होंने माना कि भारत के चिंतकों एवं दार्शनिकों ने भारत में भाषा और साहित्य के क्षेत्र में आदान -प्रदान की संस्कृति को स्थापित किया। भारत की बहुलता ने अनेक भाषाओं को जन्म दिया। 21वीं सदीं में अंग्रेजी भाषा और साहित्य का एक व्यवस्थित अध्ययन प्रो. बेड्रे ने प्रस्तुत किया।

प्रथम सत्र के बाद प्रो. मीनू कश्यप अध्यक्षअंग्रेज़ी विभाग राष्ट्रीय संस्कृति विश्वविद्यालय, नई दिल्ली और प्रो. अवनीश राय, अंग्रेजी विभाग, दी. द. उ. गो. वि. वि. गोरखपुर के पर्यवेक्षण में दूसरे और तीसरे सत्र का समापन हुआ।

14 दिवसीय पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के छठे दिवस पर दी. द. उ, एम. एच. आर. डी. सी. यू. जी. सी., दी. द. उ. गो. वि. वि. गोरखपुर के निदेशक प्रो. रजनीकांत पाण्डेय, ने कार्यक्रम का आनलाइन अवलोकन किया। कार्यक्रम के समन्वयक और अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार शुक्ल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत की संस्कृति अनेक भाषाओं की जननी है। प्रथम सत्र का संचालन डॉ. निरंजन कुमार यादव, द्वितीय सत्र का संचालन डॉ. मनीष कुमार गौरव और तृतीय सत्र के संचालन डॉ. निरंजन कुमार यादव ने किया। इस पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में तकनीकी सहयोग डाक्टर अखिल मिश्र ने किया।

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