गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं संबद्ध महाविद्यालयों में नई शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत परास्नातक कक्षाओं में सीबीसीएस पैर्टन को लागू करने की राह आसान हो गई है। शुक्रवार को आयोजित विद्या परिषद की बैठक में सभी सदस्यों की सहमति से उक्त प्रस्ताव पर मुहर लग गई है। अब इसे कार्यपरिषद से औपचारिक सहमति मिलना शेष रह गया है।
कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति- 2020 को लागू करने का निर्देश शासन स्तर से मिला है। इसे लेकर 16 जुलाई को आयोजित संकायाध्यक्षों और विभागाध्यक्षों की बैठक में बोर्ड ऑफ स्टडीज और संकाय की बैठक कराकर परास्नातक कोर्स के प्रारूप को अनुमोदित कराने का निर्देश दिया गया था। इन प्रस्तावों बोर्ड ऑफ स्टडीज और संकाय की बैठक में स्वीकृति कराने के बाद आज विद्या परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। बैठक के दौरान संकायाध्यक्षों ने अपने-अपने विभागों के कोर्स के प्रारूप को विद्या परिषद के समक्ष रखा। जिसे सर्वसम्मति से सहमति प्रदान की गई।
इसके साथ बैठक के दौरान शासन के निर्देश पर संकायों के पुर्नगठन पर भी चर्चा हुई। विद्या परिषद ने संकायों के पुनर्गठन पर शासन द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया।
बैठक के दौरान विद्या परिषद के तीन सदस्यों द्वारा बैठक को बाधित करने की कोशिश की गई तथा इन सदस्यों द्वारा बिना अध्यक्ष की अनुमति के एजेंडे में शामिल विषय के अलावा गैर-शैक्षणिक मुद्दों को उठाने की कोशिश की गयी। इन सदस्यों के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। विद्या परिषद की बैठक के बारे में पूर्व सूचना न देने की बात कुछ सदस्यों द्वारा उठाकर परिषद को भ्रमित करने की कोशिश की गई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने विद्या परिषद की तिथि के बारे में सूचना एक महीने पहले दे दी गई थी। इसके साथ ही सभी सदस्यों को परिषद की बैठक का एजेंडा मेल पर भेज दिया गया था। गौरतलब, है कि विद्या परिषद के सभी सदस्य विभाग की बोर्ड ऑफ स्टडीज और संकाय की बैठक के सदस्य होते हैं और वहां पर उन्हें पर्याप्त अवसर मिलता है कि वह एजेंडे में शामिल विषयों पर विस्तार से चर्चा कर सके। बोर्ड ऑफ स्टडीज और संकाय की बैठक में पारित होने के बाद ही किसी भी प्रस्ताव को विद्या परिषद की एजेंडे में शामिल किया जाता है। इसलिए कुछ सदस्यों द्वारा यह कहना कि उन्हें एजेंडे के बारे में जानकारी नहीं थी यह बात निराधार है।