गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से स्मृतिशेष शेष नारायण सिंह संवाद का आयोजन शुक्रवार को संवाद भवन के कांफ्रेंस हाल में किया गया।
कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि स्व. शेष नारायण सिंह हार्डकोर प्रोफेसनल थे। उनका ज्ञान बहुमुखी था। प्रो. सिंह ने पत्रकारिता के छात्रों को स्व. सिंह की पत्रकारिता से सीखने का आह्वान किया। कुलपति ने बताया कि शेष नारायण गोरखपुर विश्वविद्यालय के पुरातन छात्र भी थे। शबाना मित्रा ने विश्वविद्यालय को इस आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके पिता अपने क्षेत्र को जीते थे। उन्होंने खुद को भी उनका शिष्य बताते हुए कहा की वे पत्रकारिता के चलते-फिरते स्कूल थे जिन्होंने ये बताया की इतिहास और भाषा को पत्रकारिता से कैसे जोड़ा जाये।
संजय सिंह ने कहा की शेष जी का भदेसपन ही उनकी पूंजी थी। वे एक खांटी पत्रकार थे जिनकी लोकप्रियता सभी आयु वर्ग में थी। उनकी सभी विषयों पर अच्छी पकड़ थी. स्व. सिंह हमेशा नए पत्रकारों की मदद किया करते थे। विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य अनिल सिंह ने कहा कि स्व. शेष नारायण जी खंती पूर्वांचल के पत्रकार थे. वे सामाजिक, सांस्कृतिक मामलों के विश्वकोश थे। प्रबल प्रताप सिंह ने कहा कि शेष नारायण सिंह कई भाषाओं के जानकार थे. वे एक बेहतरीन संचारक भी थे जिनकी प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया पर सामान पकड़ थी। उनमें किसी प्रकार की नकारात्मकता नहीं थी।