गोरखपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति कौशल विकास की आवश्यकता पर बल देती है। जो किसी कारण से शिक्षा हासिल नहीं कर सके। उनके कौशल का विकास कर स्वावलंबी बनाने की बात करती है। बेटियों की डिमांड आज मेडिकल, इंजीनियरिंग के साथ साथ होटल मैनेजमेंट, हॉस्पिटैलिटी समेत सभी क्षेत्रों में है। कौशल विकास उन्हें पढ़ाई के साथ एक हुनर देने, आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
ये बातें व्यवसायिक शिक्षा और कौशल विकास राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ने बुधवार को संवाद भवन के गृह विज्ञान विभाग एवं महिला अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में कही। ‘कौशल विकास से महिला सशक्तीकरण’ विषयक कार्यशाला में राज्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर रखा गया है। पंडित दीनदयाल जी अंत्योदय की बात करते थे। समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति तक शिक्षा और रोजगार पहुंचाने की बात करते थे। वर्तमान में केंद्र और प्रदेश सरकार अपनी नीतियां इसी विजन के साथ बना रही हैं। प्रदेश सरकार 80 हजार करोड़ के स्टार्टअप को बढ़ावा दे रही है। मैं कही भी जाता हूं तो विद्यार्थियों से जरूर मिलता हूं। क्योंकि मेरा मानना है कि एक व्यक्ति आजीवन एक विद्यार्थी के रूप में कुछ न कुछ सीखता रहता है। उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी ने कहा कि मिशन शक्ति के अंतर्गत सरकार की ओर से महिलाओं और बेटियों को सशक्त बनाया जा रहा है। स्वयंसेवी महिलाओं के समूह को प्रशिक्षित कर रोजगार दिया जा रहा है। चाइल्ड केयर, टिफिन मेकिंग, सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, रंगोली, मेंहदी लगाना सब कौशल विकास है। देश की महिलाएं सशक्त तभी होगी जब वो शिक्षित हो। महिला अध्ययन केंद्र की प्रो दिव्या रानी सिंह ने कहा कि अतिथियों का स्वागत किया। अध्यक्षता करते हुए प्रो अजय सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से 100 स्टार्ट अप को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। साथ ही उद्यमिता के विकास के लिए इन्क्यूबेशन सेल स्थापित किया गया है। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सुनीता मुर्मु ने किया।
मंत्री ने सम्मानित कर बढ़ाया हौसला
कार्यशाला के दौरान राज्यमंत्री कपिलदेव अग्रवाल ने अपने कौशल के दम पर रोजगार हासिल करने वाली छात्राओं कृतिका सिंह, अंशिका सिंह, रमशा खान, आरती गुप्ता, ऋचा चौधरी के साथ दो महिलाओं बिटू और चंदा को प्रमाणपत्र प्रदान कर उत्साहवर्धन किया।