गोरखपुर। 17 अगस्त, 2022 को आजादी के अमृत महोत्सव श्रृंखला के अन्तर्गत दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में ‘मदनलाल धींगरा शहीदी दिवस’ का आयोजन किया गया।
विभागाध्यक्ष प्रो० चन्द्रभूषण गुप्ता ‘अंकुर’ ने इस अवसर पर सम्बोधित करते हुये कहा कि 1905 में बंगाल विभाजन के फलस्वरूप भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन एक नये चरण में प्रवेश करता है और जन-आन्दोलन की शक्ल इख्तियार कर लेता है। स्वदेशी आन्दोलन पहला वह आन्दोलन था, जिसमें बड़े पैमाने पर जन-भागीदारी हुयी। इस जन-उभार के परिणामस्वरूप औपनिवेशिक शासन पर दबाब बढ़ा और 1903 में ‘मार्ले-मिण्टो सुधार’ लागू किये गये ।
1909 में ही 25 वर्ष के मदनलाल धींगरा ने, जों लन्दन में मैकेनिकल इंजिनियरिंग के विद्यार्थी थे, उन्होंने अंग्रेज सैन्य अधिकारी कर्जन वाइली की गोली मारकर हत्या कर दी और इसी अपराध में उन्हें 17 अगस्त, 1909 को लन्दन में फाँसी दे दी गयी। विभाग के शिक्षक डॉ. सुधाकर लाल श्रीवास्तव ने मदनलाल धींगरा और विनायक दामोदर सावरकर के संबंध पर प्रकाश डाला तथा बताया कि सावरकर के सम्पर्क में आकर मदनलाल धींगरा के मन में’ देश-प्रेम की भावना का प्रस्फुटन हुआ और वे आत्मोत्सर्ग की भावना तक पहुँची।
कार्यक्रम में मदनलाल धींगरा से सम्बन्धित दो लघु फिल्मों का भी प्रदर्शन किया गया, जिनके माध्यम से विद्यार्थियों को मदनलाल धींगरा के जीवन और कार्यों से परिचित कराया गया। कार्यक्रम का संचालन विभाग की शोध छात्रा श्रेया ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विभाग की शिक्षिका डॉ० श्वेता ने किया।
आजादी के अमृत महोत्सव के श्रृंखला में इतिहास विभाग में अगला कार्यक्रम 13 सितम्बर को अमर शहीद ‘जतिनदास’ पर आयोजित किया जायेगा।