गोरखपुर विश्वविद्यालयः गुरु दक्षता कार्यक्रम का हुआ समापन

गोरखपुर विश्वविद्यालय

गोरखपुर। उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों को सृजनात्मक कल्पना एवं समीक्षात्मक चिंतन से युक्त बनाना होगा। मातृ भाषा के महत्व से मौलिक चिंतन का विकास होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसको बढ़ावा दिया गया है। नई शिक्षा नीति 2020 ने एक लंबे समय पश्चात भारत केंद्रित शिक्षा प्रणाली को प्रस्तावित किया है, जो परम्परागत ज्ञान के संरक्षण के साथ ही वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में भी सक्षम है।

उक्त वक्तव्य महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के यूजीसी एचआरडीसी केंद्र के द्वारा संचालित 30 दिवसीय गुरु दक्षता (फैकेल्टी इंडक्शन प्रोग्राम) के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दी.द.उ. गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि एनईपी के अंतर्गत लागू होने वाले नवाचारों के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों के लिए सभी संस्थानों को तैयार रहना होगा। समय की माँग के अनुरूप पाठ्यक्रम और पढ़ाई की प्रणाली को बदलकर ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकती है, विद्यार्थियों को अपने संस्थान के प्रति आकर्षित किया जा सकता है तथा शिक्षण संस्थानों को वैश्विक चुनौतियों का सामना करने योग्य बनाना होगा। शिक्षा के माध्यम से ही भारत की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करने के लक्ष्य पूरा किया जा सकता है।

कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए एचआरडी सेंटर के निदेशक प्रो. रजनीकांत पाण्डेय ने कहा कि शिक्षकों को नए परिवर्तनों एवं बदलती शैक्षिक तकनीकी के अनुरूप स्वयं को तैयार रखना है। फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम से शिक्षकों के ज्ञान में वृद्धि होती है और नए शैक्षिक तकनीकी के बारे में जानकारी मिलती है।

कोर्स समन्वयक एवं बायोटेक्नोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. शरद कुमार मिश्र ने तीस दिवसीय फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज जिसप्रकार से अंतर्विषयक उपागम का महत्व बढ़ रहा है, अभिमुखन कार्यक्रम और भी प्रासंगिक होंगे।कोर्स के दौरान देश के विभिन्न केंद्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों से विषय विशेषज्ञों द्वारा यूजीसी के तय मानक के अनुरूप व्याख्यान अयोजित कराए गए। इसके साथ सेमिनार, माइक्रो टीचिंग, बुक रिव्यू एवं परीक्षा का भी आयोजन कराया गया।

कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम के सह समन्वयक एवं समाजशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य डॉ. मनीष पाण्डेय द्वारा किया गया। इस दौरान देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के प्रतिभाग कर रहे संभव45 शिक्षक उपस्थित रहे।

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