(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं।
हिन्दी व्याख्या:– हज़रत उमर इब्न अबी सलमा (रज़ि.) से रिवायत है, जिन्होंने कहा: अल्लाह के रसूल (सल्ल.ﷺ) ने मुझसे फ़रमाया (कहा): “बिस्मिल्लाह कहो (अल्लाह का नाम लो) और अपने दाहिने हाथ से खाओ, और जो तुम्हारे क़रीब है, वहीं से खाओ।” (बुख़ारी 5376)
हज़रत आयशा (रज़ि.) ने कहा: अल्लाह के रसूल (सल्ल.ﷺ) ने फ़रमाया: “यदि तुम में से कोई खाता है, तो उसे अल्लाह तआ़ला का नाम लेना चाहिए, और यदि वह शुरुआत में अल्लाह तआ़ला का नाम लेना भूल गया है, फिर उसे कहना चाहिए:-
بسم الله أوله و آخره
“अल्लाह के नाम से, इसकी शुरुआत भी और अंत भी।” (अबू दाऊद 3768)
जाबिर (रज़ि.) ने कहा: मैंने अल्लाह के रसूल (सल्ल.ﷺ) को सुना जब उन्होंने फ़रमाया: “जब कोई व्यक्ति अपने घर में प्रवेश करता है या जब वह खाना खाता है और अल्लाह का नाम ले लेता है (बिस्मिल्लाह कहता है), तो शैतान अपने साथियों को याद दिलाता है: यहाँ तुम्हारे लिए रात के खाने या सोने की कोई व्यवस्था नहीं है। लेकिन जब वह प्रवेश करता है और प्रवेश करते समय अल्लाह को याद नहीं करता है तो शैतान कहता है: मुझे घर मिल गया है, और अगर खाते समय अल्लाह को याद नहीं करता है, तो शैतान कहता कि आज खाना और रात का ठिकाना दोनों मिल गया। (मुस्लिम 2018, अबू दाऊद 3765)
यह और इस प्रकार की बहुत सी हदीसें हैं जो बताती हैं कि खाने-पीने का सही तरीका क्या है। किन अच्छी आदतों को अपनाना चाहिए तथा किन आदतों का परित्याग करना चाहिए। हदीसों के अध्ययन से खाने-पीने से संबंधित निम्नलिखित बिंदुओं को इस्लामी सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है:-
1- अल्लाह का नाम लेकर (बिस्मिल्लाह कर के) खाना खाओ या पानी पियो।
2- अपने दाहिने हाथ से खाओ।
3- बर्तन में अपने पास से खाओ।
4- वह भोजन शैतान के लिए हलाल हो जाता है जिस पर बिस्मिल्लाह का पाठ नहीं किया जाता है।
5- एक बद्दू (देहाती) ने दो निवाले में छह लोगों का खाना ख़त्म कर दिया। अगर बिस्मिल्लाह किया होता तो सबके लिए काफ़ी होता।
6- भोजन के बाद की दुआ
(الحمد لله الذى أطعمَنا و سقانا و جعلَنا من المسلمين)
भोजन के समय के कमियों/पापों को क्षमा कर देती है।
7- खाने में दोष मत ढूंढो, अच्छा लगे तो खा लो, अच्छा न लगे तो छोड़ दो।
8- सिरका (vinegar) सबसे अच्छा भोजन है।
9- अगर कोई आपको खाने के लिए बुलाए तो आपको जाना चाहिए। अगर व्रत है तो (सविनय मना कर दें तथा) उसके लिए दुआ करें।
10- अगर कोई बिना बुलाए किसी के आमंत्रण पर आप के साथ हो जाए तो आप उस की ओर से आज्ञा ले लें, अगर मालिक मना करे तो उसे वापस लौटा दें
11- सब के साथ (सामूहिक रूप से) खाएं, पेट भर जाएगा।
12- साथ खाने वालों के साथ उठें।
13- बरकत (खाने का लाभ/ आशीर्वाद) बर्तन के बीच में उतरती है, हर व्यक्ति को अपनी तरफ से खाना चाहिए।
14- कुर्सी पर बैठ कर या टेक लगा कर खाने का निषेध है, इससे व्यक्ति अधिक खाना खा लेता है।
15- उकड़ू बैठकर भोजन करना उत्तम है, इस से व्यक्ति कम खाता है।
16- उंगलियां धोने से पहले उन्हें चाट लो, क्योंकि तुम्हें नहीं मालूम कि बरकत (आशीर्वाद) किस हिस्से में है।
17- तीन अंगुलियों से भोजन करना चाहिए,
18- जैसे ही कोई लुक़मा (कौर) गिरे, उसे साफ कर लें और शैतान के लिए न छोड़ें,
19- पका हुआ खाना खाने के बाद दोबारा वज़ू करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
पीने के आदाब
1- तीन साँसों में पानी पीना चाहिए, बर्तन में साँस छोड़ना मना है।
2- दाऍ हाथ से पीना चाहिए और देखकर पीना चाहिए।
3- पीने से पहले अल्लाह का नाम लेना (बिस्मिल्लाह कहना) चाहिए।
4- खाने या पीने की चीज में फूंक मारने से मना किया गया है।
5- बैठ कर खाना-पीना चाहिए, फिर भी खड़े रहकर पीने की अनुमति है।
6- अंत में सोने-चांदी के बर्तन में खाने-पीने की मनाही हैं।
रिज़वान अलीग, email – rizwanulhaqueshakir@gmail.com