गोरखपुर विश्वविद्यालयः चरित्र निर्माण ही शिक्षा का उद्देश्य-डॉ बालमुकुंद

गोरखपुर विश्वविद्यालय

गोरखपुर। शिक्षा का उद्देश्य चरित्र का निर्माण करना है। शिक्षक छात्रों के सभी दोषों और दुर्गुणों को दूर करके उसे चरित्रवान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उक्त बातें गोरखपुर विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग में आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. बालमुकुंद पांडेय ने कहीं। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षक छात्रों के पूर्व ज्ञान का आकलन करता है और उसी आधार पर उसे आगे की शिक्षा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आचार्य देवता होता है वह सिर्फ देना जानता है अपने द्वारा अर्जित ज्ञान और अपने अनुभवों के आधार पर वह छात्रों को शिक्षित करता है।

चरित्रवान शिक्षक अपने आचरण से छात्रों को भी चरित्रवान बनाता है। सरकार की नई शिक्षा नीति की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व में जो भी शिक्षा की नीतियां बनती थी वह विदेशी शिक्षा पर आधारित थी लेकिन यह पहली बार हुआ है की भारतीय शिक्षा नीति भारत की शिक्षा पर आधारित है। उन्होंने कहा कि क्या पढ़ाया जाता है यह महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि कैसे पढ़ाया जाए यह महत्वपूर्ण है और यही बातें नई शिक्षा नीति को और महत्वपूर्ण बनाती हैं।

इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया गया। शिक्षा शास्त्र विभाग की अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रोफेसर शोभा गौड़ ने अतिथि का स्वागत अंगवस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजेश सिंह एवं आभार ज्ञापन प्रोफेसर राजेश सिंह ने किया। इस मौके पर शिक्षा शास्त्र विभाग के सभी शिक्षक व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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