गोरखपुर। सामाजिक नीतियों के निर्माण में समाजशास्त्रियों की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण हो सकती है। समाजशास्त्र की भूमिका बने रहने से डेवलपमेंटल पॉलिसी में अधिक संवेदनशीलता आएगी। समाजशास्त्री नए परिप्रेक्ष्य एवं क्षेत्रीय दृष्टि से किये गए अध्ययनों के आधार पर नीतियों को प्रस्तावित कर सकता है, जिसका क्रियान्वयन सुगम और परिणाम समाज के लिए अधिक लाभदायक होगा।
समाज, समाजशास्त्र विषय और पॉलिसी में अंतरसंबंध बनाना होगा। समाजशास्त्री समाज को दिशा देने का कार्य बेहतर कर सकते हैं। एकेडेमिक्स में समाजशास्त्र के नए उभरते प्रतिमान के अनुरूप अध्ययनों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। आजादी के पश्चात भारतीय समाजशास्त्रियों ने अनेक अध्ययन किये हैं, जिनके आधार पर सामाजिक नीतियों का निर्माण हुआ।
उक्त वक्तव्य दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के यूजीसी-एचआरडी सेंटर एवं समाजशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘समाजशास्त्र में उभरते प्रतिमान’ विषय आयोजित चौदह दिवसीय पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी की अध्यक्ष प्रो. आभा चौहान ने बतौर मुख्य अतिथि दिया।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए यूजीसी एचआरडी सेंटर के निदेशक प्रो. रजनी कान्त पाण्डेय ने कहा कि समाजशास्त्र ऐसा विषय है जो मानव समाज का मार्गदर्शन कर सकता है और वर्तमान परिस्थितियों में उभर रही तमाम समस्याओं का निवारण कर सकता है। युवा शिक्षकों की शिक्षा और समाज निर्माण में बड़ी भूमिका है, पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के माध्यम से सीखने की प्रक्रिया को विस्तार मिलेगा।
कार्यक्रम समन्वयक एवं अध्यक्ष समाजशास्त्र विभाग प्रो. संगीता पाण्डेय ने विषय प्रवर्तन करते हुए समाजशास्त्र के उत्पत्ति और इसकी बदलती प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाला और कहा कि समाजिक परिवर्तन के साथ साथ समाजशास्त्र में अनेक नई प्रवृत्तियां उभरी हैं और अंतर्विषयक अध्ययनों को महत्व मिल रहा है। प्रारंभिक दौर में यूरोपीय मॉडल को ध्यान में रखकर ही समाजशास्त्रीय अध्ययन किये जाते थे, जबकि वर्तमान में नई प्रवृति यह है कि अन्य सामाजिक यथार्थों को भी अध्ययन में वरीयता मिल रही है। वर्तमान में समाजशास्त्र के अध्ययन का विस्तार वास्तविक दुनियां के साथ साथ आभासी दुनिया तक हुआ है।
कार्यक्रम का संचालन सह समन्वयक डॉ. मनीष पाण्डेय ने किया। आभार ज्ञापन डॉ. अनुराग द्विवेदी ने किया।
इस दौरान प्रो. कीर्ति पाण्डेय, प्रो. सुभी धुसिया, प्रो अंजू, डॉ. पवन कुमार, डॉ दीपेंद्र मोहन सिंह, डॉ प्रकाश प्रियदर्शी समेत विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के 50 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहे।