गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग और यूजीसी एचआरडीसी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हो रहे 18वें ऑनलाइन पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में व्याख्यानमाला का आयोजन हुआ।
इस कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. राजेश मिश्रा ने द्वितीय सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि वैश्विकरण ने संसार को एक ग्राम के रूप में तबदील कर दिया है और दूरियां कम हो गई हैं। भूमंडलीकरण का स्पष्ट प्रभाव पर्यावरण एवं जलवायु पर भी देखा जा सकता है। साथ ही समाजशास्त्र की परम्परागत धारणाओं के स्थान पर आधुनिक परिप्रेक्ष्यों का जन्म हुआ है।
तृतीय सत्र में प्रोफेसर एमिरिट्स प्रो. ए .के. कौल ने कहा कि कल्चर और चेतना को एक ही पैमाने से नहीं मापा जा सकता। समाजशास्त्र के उदय से लेकर वर्तमान स्थिति तक समाजशास्त्र के परिप्रेक्ष्यों एवं सिद्वान्तों तथा थ्योरी पर प्रकाश डाला गया एवं उन्हें वर्तमान वैश्विक परिवर्तनों से जोड़कर, इसके प्रभावों, चुनौतियों एवं निदान के उपायों को भी बताया।
प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए बीएसएनबी कालेज लखनऊ के प्रो. जयशंकर पाण्डेय ने समाजशास्त्र की नई प्रवृत्ति के रूप में दिव्यांग जनों के समाजशास्त्रीय अध्ययन पर प्रकाश डाला और कहा कि अलग-अलग समाजों में दिव्यांगता को देखने का नजरिया अलग-अलग है और भारत में दिव्यांगता को सामाजिक और आध्यात्मिकता के रूप में देखा जाता है। साथ ही इन विविध दिव्यांगों की अलग-अलग समस्याएं भी हैं। दिव्यांगता को अलग-अलग 21 श्रेणियों में बांटा जा सकता है।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण समाजशास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रो. संगीता पाण्डेय ने किया। आभार ज्ञापन सह समन्वयक डॉ मनीष पाण्डेय ने किया। इस दौरान देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के 50 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहे।