ग़रीबों को मोहलत देना और उनके साथ नरमी करना

धर्म-कर्म

नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: “जिसने ग़रीब को मोहलत दी या उनका उधार माफ कर दिया, तो अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसको अपने अर्श के साये में रखेंगे, जिस दिन अल्लाह के साये के इलावा कोई साया नहीं होगा।”

यानी अगर उधार लेने वाला ग़रीब आदमी हो तो उसको उधार को वापस करने में मोहलत देनी चाहिए और उसके साथ नर्म बर्ताव करना चाहिए और अगर उधार बिल्कुल माफ कर दे तो बहुत अच्छी बात है।

नबी (स) ने पिछली किसी उम्मत के एक आदमी की कहानी बयान की कि जब उसका इन्तक़ाल हुआ और उसका हिसाब जांचा गया तो उसके खाते में कोई नेकी नहीं थी, सिर्फ एक नेकी थी कि वो मालदार आदमी था और उसके लोगों से मामलात रहते थे और उसने अपने गुलामों को ये हुक्म दे रखा था कि अगर कोई ग्राहक गरीब हो तो उसको माफ कर देना। अल्लाह तआला ने फरिश्तों से फरमाया: “इस खूबी के हम ज़्यादा लाएक़ हैं, इसे माफ कर दो!

(मालूम हुआ कि किसी ग़रीब को माफ करना बड़ा सवाब का काम है।)

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