गोरखपुरः कारोना काल और उत्तर कोरोना काल में आने वाली समस्याओं से निपटने में बुद्धिजीवियों की बड़ी भूमिका हो सकती है। शिक्षकों के ज्ञान और शोध के माध्यम से हम कोरोना संबंधित समस्याओं का निराकरण कर सकते हैं। शिक्षकों के वैज्ञानिक शोधों के माध्यम से कोरोना के वैक्सीन और दवाइयों के खोज में मदद मिल सकती है। कोरोना एक वैश्विक महामारी है जिससे पूरी दुनिया प्रभावित हो चुकी है, लेकिन हम इससे बहुत बेहतर तरीके से लड़ रहे हैं। बाकी दुनिया की अपेक्षा एक बड़ी आबादी को देखते हुए भारत का प्रबंधन काफी अच्छा है। कोरोना से निपटने में उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन असाधारण है। यूपी में हम माननीय योगी आदित्यनाथ जी महाराज के नेतृत्व और बाबा गोरखनाथ के आशीर्वाद से इससे बहुत बेहतर तरीके से लड़ रहे हैं। हमारे यहां रिकवरी रेट अच्छा है। कोरोना से निपटने में कई स्तरों पर तैयारी करने की जरूरत है।
उक्त वक्तव्य सांसद गोरखपुर एवं प्रसिद्द अभिनेता रविकिशन ने दिनाँक 11 जून को शहर के बुद्धिजीवियों (विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के शिक्षकों) से संवाद के दौरान दिया। यह संवाद “अनलॉक अवधि की ओर: जिम्मेदारी और चुनौतिया” विषय पर था, जिसमें गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के शिक्षकों का समूह सम्मिलित था। कार्यक्रम समन्वयक प्रो. अजय कुमार शुक्ला, अंग्रेजी विभाग, दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय थे।
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए सांसद रविकिशन ने कहा कि मैं नियमित रूप से गोरखपुर की अपडेट लेता रहता हूँ। अपनी जान और सुरक्षा की परवाह के बगैर लोगों की पीड़ा को दूर करने का हरसंभव प्रयास कर रहा हूँ।बुद्धिजीवियों के साथ हुए इस सत्संग से मिले ज्ञान के माध्यम से मुझे प्रेरणा मिली है और पूरी उम्मीद है कि हम कोरोना महामारी पर जीत हासिल करेंगे।
कार्यक्रम समन्वयक प्रो. अजय कुमार शुक्ला ने कहा कि संवाद के माध्यम से ही किसी भी समस्या का हल निकलता है। कोरोना महामारी के कारण बनी परिस्थितियों में विशेषज्ञ के रूप में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। विज्ञान से लेकर समाज तक की समस्याओं के निवारण में शिक्षक का ज्ञान महत्वपूर्ण है। इस संवाद के माध्यम से सभी जुड़े शिक्षकों ने अपने सुझाव और शोध दिए हैं, जिन्हें एकत्र करके सांसद जी के माध्यम से सरकार के सम्बद्ध मंत्रालयों तक भेजा जाएगा।
संवाद कार्यक्रम में कोरोना महामारी के कारण बदल रही परिस्थितियों के सम्बंध में शिक्षकों ने अपने विचार व्यक्त किए। साथ में इस परिस्थिति में बुद्धिजीवियों की भूमिका पर विमर्श हुआ। समाज, राजनीति, विज्ञान, अर्थ और कानून आदि के विशेषज्ञों ने कोरोना और उससे बनी परिस्थितियों से निपटने के कई सुझाव प्रस्तुत किए, जिन्हें अलग से भी सांसद जी को प्रेषित किया गया। सांसद रविकिशन ने सभी सुझावों को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्हें क्रियान्वित करने का भरोसा दिया।
इस दौरान बॉयोटेक्नोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. शरद मिश्रा ने कोरोना से बचने के तरीके और वैक्सीन बनने की प्रक्रिया पर बात रखते हुए अपनी शोध के माध्यम से उम्मीद जताई कि अगले कुछ महीनों में इसका वैक्सीन बनाया जा सकता है। भौतिकी विभाग के डॉ अम्बरीष श्रीवास्तव ने आयुर्वेदिक और हर्बल प्लांट के माध्यम से कोविड 19 से निपटने के लिए किए गए शोध का वाचन किया। बॉटनी विभाग की डॉ तूलिका मिश्रा ने औषधीय पौधों की चर्चा करते हुए कहा कि इस वायरस से निपटने में औषधियों से संबंधित हमारा परंपरागत ज्ञान महत्वपूर्ण हो सकता है। कॉमर्स विभाग की डॉ प्रतिमा जायसवाल ने इकॉनमी को बूस्ट करने के तरीके के साथ इसे अवसर में बदलने की रणनीति बताई।
कार्यक्रम में आभार ज्ञापन डॉ आशीष शुक्ला ने किया। उक्त जानकारी सांसद के पीआरओ पवन दूबे ने देते हुए बताया कि यह कार्यक्रम जूम एप के माध्यम से आयोजित किया गया।
संवाद कार्यक्रम में प्रो. राजर्षि कुमार गौड़, डॉ मनोज कुमार तिवारी, डॉ राजेश पाण्डेय, डॉ अमित उपाध्याय, डॉ ओमप्रकाश सिंह, डॉ टी.एन. मिश्रा, डॉ आलोक कुमार, डॉ हर्ष देव वर्मा, डॉ लक्ष्मी मिश्रा, डॉ अपरा त्रिपाठी, डॉ पंकज कुमार सिंह, डॉ मनीष कुमार पाण्डेय, डॉ वंदना सिंह, डॉ कृपा मणि, डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी, डॉ अंशू गुप्ता, डॉ सुनील कुमार यादव, डॉ राकेश पाण्डेय, डॉ सुशील कुमार, डॉ कुलदीपक शुक्ला एवं महाविद्यालयों से डॉ विनीत कुमार पाण्डेय, डॉ प्रमोद कुमार त्रिपाठी, डॉ राजीव कुमार राय, डॉ सुधीर श्रीवास्तव, डॉ.सर्वेश दुबे समेत कई शिक्षक उपस्थित रहे।