अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित हुआ ऑनलाइन सप्ताहिक योग शिविर

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गोरखपुर: महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् गोरखपुर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित ऑनलाइन सप्ताहिक योग शिविर एवं विशिष्ट व्याख्यान कार्यक्रम के तीसरे दिन मुख्य वक्ता डॉ० पूरन सहगल जी ( निदेशक मालवा लोक संस्कृति अनुष्ठान मानसा नीमच मध्य प्रदेश ) ने महायोगी गुरु गोरखनाथ की योग साधना विषय पर ने बोलते हुए कहा कि स्वयं से जुड़ने का उपक्रम ही योग है। अपनी ही आत्मा से अर्थात् स्वयं से मिलना योग का अभीष्ट है। जब श्वासों व उच्छ्वासों में अलख- अलख का निनाद होने लगता है तब भीतर अनहद नाद की बांसुरी बजने लगती है तब जाकर बंक नाद से अमृत झरने लगता है और योगी उसी अमृत का पान करने के लिए हमेशा लालायित रहते हैं।
    डॉ० पूरन ने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ जी का योग असत्य से सत्य की मार्ग की ओर अंधकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमृतत्व की ओर जाने का साधन है। भगवान बुद्ध नें कहा था अप्प दीपो भव अर्थात् स्वयं अपना दीपक बनो। अपने भीतर की ज्योति को जागृत करें स्वयं को जागृत करें जब तक हम स्वयं जागृत नहीं होंगे तब तक योग साधना दुर्लभ है। शमनं भव तापस्य योगं सतामगा। स्वयं योगी गोरखनाथ जी भी योग के विषय में यही संदेश देते हैं।उन्होंने कहा कि सिद्ध मत अथवा लोकमत में योग को चार नियमों से पुकारा जाता है मंत्र योग लय योग हठयोग और राजयोग।सामान्यतः श्वांस के बहिर्गमन में ॐ का और अंतर प्रवेश में स का उच्चारण होता है। शुसुम्ना में वही उलट कर सोऽहम् सोऽहम् का निनाद होने लगता है। इसी प्रकार शिव अर्थात रजस् या रेतस का समष्टि भाव राजयोग कहा जाता है। उन्होंने कहा कि चित्त की वृत्तियों का रुक जाना ही योग है। मन बहुत ही चंचल व प्रमादी होता है। कामना वासना के पीछे दौड़ता रहता है। इस चित्त को शांत करना ही योग है। उन्होंने कहा कि मन जब स्थिर व  समाहित हो  जाता है तभी उसमें प्रज्ञा प्रदीप्त होती है और प्रज्ञा का प्रकाश प्रज्वलित हो जाने से ज्ञान की उपलब्धि होती है और सम्यक् ज्ञान हो जाने से परम शांति रूप निर्वाण की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले चरित्र का सुधार होना चाहिए सात शीलों का पालन चरित्र के सुधार में सहायक होता है। चरित्र के सुधरने से मन अंतर्मुखी होता है और मन के अंतर्मुखी होने से ज्ञान की उत्पत्ति होती है और सम्यक् ज्ञान से दृष्टि उत्पन्न होती है। स्थिर मन और सम्यक् दृष्टि प्राप्त हो जाने पर मन जहां जहां जाता है वहीं समाहित हो जाता है। इसी को सहज समाधि या राज योग कहते हैं।
संपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन एमपीपीजी कॉलेज जंगल घूषण गोरखपुर के फेसबुक पेज डचचहब्वससमहम पर किया गया। ऑनलाइन फेसबुक कार्यक्रम को संचालित करने में प्रमुख रूप से डाॅ प्रदीप राव डॉ० अरविंद कुमार चतुर्वेदी डॉ० अभिषेक पाण्डेयबअभय श्रीवास्तव विनय कुमार गौतम आदि का सहयोग रहा।
शैक्षिक कार्यशाला महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के विभिन्न संस्थाओं द्वारा ऑनलाइन जूम एप के माध्यम से विगत सत्र में किए गए व आगामी सत्र में किए जाने वाले कार्य योजनाओं का प्रस्तुतीकरण किया गया। जिसमें दिग्विजय नाथ पी०जी० कॉलेज गोरखपुर महाराणा प्रताप पॉलिटेक्निक गोरखपुर गुरू गोरक्षनाथ विद्यापीठ भरोहियां  पीपीगंज गोरखपुर आदि शक्ति मां पाटेश्वरी पब्लिक स्कूल तुलसीपुर बलरामपुर आदि संस्थाओं ने अपनी प्रस्तुति दी।
योग एवं ध्यान शिविर। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् गोरखपुर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित ऑनलाइन सप्ताहिक योग शिविर के तीसरे दिन प्रातःसत्र में योग एवं ध्यान के अंतर्गत योगाचार्य डॉ० चंद्रजीत यादव के निर्देशन में शुभम द्विवेदी ने योगासन में  कपालभाती क्रिया योगासन सूर्य नमस्कार सुक्ष्म योग व्यायाम शवासन  उदर शक्ति विकासक ध्रुवासन पवनमुक्तासन उत्तानपादासन सर्वांगासन शीर्षासन अर्ध शीर्षासन सुप्त वज्रासन मत्स्यासन कुक्कुटासन गोमुखासन अर्धमत्स्येंद्रासन वीरासन प्राणायाम कपालभाती नाड़ी शोधन चन्द्रभेदी केवली प्लाविनी आदि आसनों का अभ्यास कराया गया ।

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