सांसद कमलेश पासवान ने की प्रेस वार्ता, पेनेशिया हॉस्पिटल के विवाद पर कही अपनी बात

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गोरखपुर। बांसगांव सांसद कमलेश पासवान बलदेव प्लाजा स्थित अपने ऑफिस पर प्रेस वार्ता कर पत्रकारों से कहा कि मेरे ऊपर जो आरोप लगाया जा रहा है पेनेशिया हॉस्पिटल को मैंने कब्जा कर लिया एवं विभिन्न लोगों के साथ व उनके साथियों के साथ मारपीट किया है मैं अपनी बात शुरू करने से पहले कहना व पूछना चाहता हूं कि क्या सांसद को व्यापार करने का कोई अधिकार नहीं है।।। एक सांसद के तौर पर मेरे ऊपर कोई भी व्यक्ति यह आरोप नहीं लगा सकता कि व्यक्तिगत रूप से मैंने कभी किसी को कोई नुकसान पहुंचाया है। जो लोग व्यक्तिगत तौर पर मुझे जानते हैं उन सबको मालूम है कि पिछले 24 वर्षों के राजनैतिक कैरियर में मैंने किसी को कोई भी व्यक्तिगत ठेस नहीं पहुंचाया है, जहां तक बिजनेस की बात है पूरी ईमानदारी के साथ कानूनी प्रक्रिया के दायरे में रहकर राजनीति के साथ-साथ साफ-सुथरे तरीके से करने का प्रयास किया है। लेकिन हमेशा किसी ना किसी रूप में मेरी राजनीतिक छवि खराब करने के लिए गलत तरीके से मुझे कुछ लोग बदनाम करने की कोशिश करते रहते हैं। जहां तक पैनेसिया की बात है और उसमें डायरेक्टर और हिस्सेदार डॉ प्रमोद सिंह व शेयर होल्डर अनिल सिंह इन दोनों लोगों का कुल मिलाकर 65% शेयर होल्डिंग है। डॉ प्रमोद सिंह जो कि इस शहर के टॉप सर्जन में से एक हैं मैं इनको पिछले 15 वर्षों से व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं जब से यह पेनेशिया के डायरेक्टर बने हॉस्पिटल को चलाने के लिए तन मन धन हर तरह से सबसे सहयोग लेकर हॉस्पिटल कैसे चले इस पर प्रयासरत रहे। जब हॉस्पिटल चलने लगा तो विजय पांडे रामनिवास गोविंद आदि लोगों ने पैसों को लेकर विवाद करना शुरू कर दिया और डॉक्टर साहब को जून 2018 को बलपूर्वक हॉस्पिटल से बाहर निकाल दिया। फिर इन लोगों ने हॉस्पिटल चलाने का प्रयास किया लेकिन फिर से नहीं चला पाए क्योंकि इनकी नियत हॉस्पिटल चलाने की नहीं थी बल्कि धन अर्जन करने की थी।
फिर यह लोग रामनिवास आदि सभी इकट्ठे होकर डॉ प्रमोद सिंह के पास गए और मनुहार किए कि डॉक्टर साहब हॉस्पिटल किसी तरह आप ही चलाइए ताकि हॉस्पिटल का किराया व लोगों का कर्ज, बिजली का बिल आदि खर्चे पूरे किए जा सकें क्योंकि हम लोग हॉस्पिटल चला कर देख चुके हैं तथा हॉस्पिटल चलाने में हम लोग सक्षम नहीं हैं। डॉ प्रमोद सिंह जी हॉस्पिटल की स्थिति व मरीजों की समस्याओं को देखते हुए सितंबर 2018 में हॉस्पिटल को चलाने के लिए तैयार हुए तथा सुचारू रूप से हॉस्पिटल चलने लगा। लेकिन जब डॉक्टर साहब ने हॉस्पिटल का हिसाब देखा तो पाया कि इन 4 महीनों में हॉस्पिटल पर बाजार का काफी ज्यादा कर्ज हो चुका है डॉक्टर साहब ने रामनिवास आदि से बात किया इन लोगों ने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया तब डॉक्टर साहब ने अपना अथक प्रयास करके हॉस्पिटल को फिर से चलाया तथा मार्केट के लोगों का यथासंभव कर्ज चुकता किया। 6 महीने पहले डॉक्टर साहब से हमारी मुलाकात हुई तो डॉ. साहब ने बताया कि हॉस्पिटल बहुत कर्जे में चल रहा है सीमेंस कंपनी का लगभग चार करोड़ रुपया, मकान मालिक का किराया व अन्य लोगों का काफी पैसा देना है। हमारे और डॉक्टर साहब के बीच में शेयर को लेकर बातचीत हुई और कैसे-कैसे लोगों का लोन चुकता करना है उस पर भी विस्तार से बातचीत हुई। हम दोनों के बीच में सहमति बनी जिसमें डॉक्टर साहब को सहयोग देने के लिए और हॉस्पिटल को सुचारू रूप से चलाने के लिए आपस में समझौता हुआ कि जब एनसीएलटी का मुकदमा कानूनी रूप से खत्म हो जाएगा तब हम आपस में बैठकर बातचीत कर लेंगे जहां तक मेरे नाम को निदेशक से जोड़ा जा रहा है उस प्रक्रिया को कंपनी ला के अनुसार पूरा किया गया है अगर इन लोगों को आपत्ति है तो इसकी लड़ाई माननीय न्यायालय NCLT मे लड़े और जो भी न्यायालय का आदेश हो हम दोनों पक्षों को इसका आदर करना चाहिए। लेकिन परसो की घटना है कि मुझे जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करके गाली दिया गया एवं अभद्रता की कोशिश की गई, यह कहां तक न्याय संगत है? मैं उस दिन हॉस्पिटल के अंदर ही बैठा था 40-50 की संख्या में आकर जब यह लोग कर्मचारियों से लड़ाई करने लगे गेट बंद करके डॉ प्रमोद को और मुझे अपशब्दों का प्रयोग करने लगे तो मैं ऑफिस से उठकर लोगों से बातचीत करने गया कि आप लोग शांत हो जाएं और ऑफिस में बैठ कर बात कर ले। यह वीडियो रिकॉर्डिंग में स्पष्ट रूप से इंगित है कि हॉस्पिटल पर किसी भी तरह का बवाल या झगड़ा ना हो यही प्रयास किया जा रहा है। जब यह लोग मेरी बात नहीं माने तो मैं वापस अंदर चला गया। पुलिस आई और अपनी कार्रवाई की।

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