गोरखपुर: सेंट एंड्रूज कॉलेज में इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल के अन्तर्गत, “कैपेसिटी बिल्डिंग इन आईपीआर एंड इनोवेशन, ड्रग्स डिस्कवरी एंड ट्रेडिशनल मेडिसिन” विषय पर तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रोफेसर अरुण खरात ने, पारंपरिक औषधीय पौधों की विभिन्नता, तथा उनकी उपयोगिता को बताया। उन्होंने कहा कि अब जमाना आ गया है कि हम अपनी पुरानी भारतीय चिकित्सा पद्धति को समझें तथा उन पर अनुसंधान करें।आज विश्व भारत की तरफ देख रहा है और हमें इस दिशा में प्रयास करने की जरूरत है। हमें औषधीय पौधों से रसायनों, का निष्कर्षण कर उनके पेटेंट कराने की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे भारतीयार विश्वविद्यालय कोयंबटूर तमिलनाडु के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर परिमलगन ने बौद्धिक संपदा क्या होती है और इसके कितने प्रकार हैं, पेटेंट्स ट्रेड मार्क कॉपीराइट और ट्रेड सीक्रेट्स के बारे में उन्होंने जानकारी दी । प्रथम, तकनीकी सत्र में बोलते हुए उन्होंने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी को इनोवेशन और क्रिएटिविटी का पावर हाउस कहा। तकनीकी सत्र में बोलते हुए भारतीयार विश्वविद्यालय कोयंबटूर के नैनो टेक्नोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एन पांडियन ने टेक्नोलॉजी बिजनेस इंक्यूबेसनबेशन: ए टूलकिट, इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि हमें ट्रेडिशनल मेडिसिन को तकनीक से जोड़ना होगा, और उसमें नवाचार लाना होगा तभी हम विश्व पटल पर इस विधा को स्थापित कर सकते हैं। उदघाटन कार्यक्रम, की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर जे के लाल ने की तथा उन्होंने कहा कि हम आयुर्वेद के प्राचीनतम् ज्ञान को अगर समझ जाएँगे तो बहुत हद तक बीमारियों से बच सकते हैं। समय है कि हम उनका उपयोग करें जैसा कि हम देख रहे हैं कि इस कोविड 19 की विपदा में भी आयुर्वेद अपना रोल अदा कर रहा है। कॉलेज के उप प्राचार्य डॉ एसडी शर्मा ने कॉलेज डायरी से प्रार्थना कर कार्यक्रम की शुरुआत की तथा कॉलेज के इतिहास के बारे में बताया। कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ एसडी राजकुमार ने फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की थीम पर चर्चा करते हुए कहा कि बौद्धिक संपदा संरक्षण कानून से छोटे समुदायों के औषधीय ज्ञान की रक्षा हम दवा माफियाओं से कर सकते। उन्होंने कहा कि इस फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का उद्देश्य बौद्धिक संपदा संरक्षण कानून के प्रति जागरूकता फैलाना है तथा पारंपरिक औषधियों से नई औषधियों के निर्माण में नवाचार को लाने हेतु प्रयास करना है। कार्यक्रम के संयोजक डॉ जेके पाण्डेय ने औपचारिक स्वागत भाषण दिया। डॉ अमित मसीह तथा डॉ हरिओम गुप्ता ने मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथि का परिचय पढ़ा तथा तकनीकी सत्रों को संचालित किया। डाॅ आईजैक एल मैथ्यू ने तकनीकी सत्र के अतिथि का परिचय पढ़ा तथा कार्यक्रम के संचालन के तकनीकी पक्ष को वनस्पति विज्ञान विभाग के डॉ शशांक कुमार सिंह ने संचालित किया। इस अवसर पर कुल 191 प्रतिभागियों ने फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में ऑन लाइन प्रतिभाग किया।