गोरखपुर विश्वविद्यालयः अंग्रेज़ी विभाग में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का हुआ आयोजन, पुरुष और नारी को एक साथ जोड़ने पर ही समाज में पूर्णता- प्रोफेसर शुभा तिवारी

गोरखपुर विश्वविद्यालय

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का हुआ आयोजन। लोगो ने रखें अपने विचार। पुरुष और नारी को एक साथ जोड़ने पर ही समाज में पूर्णता आ सकती है। पुरुष यदि कार्य है तो नारी उस कार्य के ठीक पूर्व की सम्प्रेषण है। नारी को दायित्व देना चाहिए, थोपना नहीं चाहिए क्योंकि वेद, उपनिषद और गीता में नारी की प्रशस्ति की गई है जो उस समय की सनातन समाज में उनकी मजबूत स्थिति को दर्शाती है। सीता, कैकेयी, मंथरा, अहिल्या बाई, अपाला, घोषा, गार्गी और मीरा बाई जैसी नारी शक्ति नें जड़ समाज में अपने ज्ञान और संघर्षशीलता से दखल पैदा की जिससे समाज ने इनके महत्व को इज्जत से स्वीकार किया। उक्त बातें अंग्रेजी विभाग एवं यूजीसी एच आर डी सी द्वारा आयोजित पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के पांचवे दिन के प्रथम सत्र में प्रो. शुभा तिवारी, अंग्रेजी विभाग, रीवॉ विश्वविद्यालय, रीवॉ, मध्य प्रदेश ने नारी विमर्श के सनातन और आधुनिक हस्तक्षेप को भारतीय भाषा और साहित्य के विशेष संदर्भ में प्रस्तुत करते हुए कही। दूसरे सत्र में प्रो. सर्वेश सिंह, अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, बाबा भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ ने भारतीय भाषा और साहित्य के अन्तः अनुशासनिक अध्ययन के विविध खतरों एवं विसंगतियों पर सभी का ध्यान आकृष्ट किया। प्रो. सर्वेश सिंह ने माना कि शोध संस्थानों के विकास के लिए अन्तः अनुशासनात्मक स्वरूप को रखना अति आवश्यक है। प्रो. सर्वेश सिंह ने भाषा और साहित्य के तुलनात्मक अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक दर्शनों और आलोचनाओं पर जब तक हम केन्द्रित रहेंगे तब तक अपनी भारतीय संस्कृति और भाषा के प्रति न्याय नहीं कर सकते हैं। इसलिए आवश्यकता है अपने धर्म, दर्शन और भाषा-साहित्य को अपनी स्वयं की निरपेक्ष दृष्टि से देखने की। तृतीय सत्र में प्रो. अच्युता नन्द मिश्र, केरल विश्वविद्यालय ने मनुष्य और संस्कृति के पारस्परिक विकासात्मक अध्ययन को समय और परिस्थितियों के क्रम में व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया। अपने व्याख्यान में प्रो. मिश्र ने माना कि सभ्यता के विकास के ही साथ-साथ मनुष्य में स्वतंत्रता, समानता और न्याय के प्रति जागरूकता प्रारम्भ हुई जिसका मुख्य स्रोत उपन्यास और भाषा से ही निर्मित हुई।
अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं पाठ्यक्रम के समन्वयक प्रो अजय कुमार शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत किया उन्होंने बताया कि इस पाठ्यक्रम में अंग्रेजी संस्कृत हिंदी एवं व्याकरण के 52 प्रतिभागी प्रतिभाग कर रहे हैं। यह पाठ्यक्रम 2 अगस्त तक चलेगा। आज के विभिन्न सत्रों का संचालन डॉ मनीष गौरव, डॉक्टर विजय आनंद मिश्रा डॉ अखिल मिश्रा ने किया।

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