गोरखपुर विश्वविद्यालयः आजादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर कार्यक्रम का हुआ आयोजन

गोरखपुर विश्वविद्यालय

गोरखपुर। आजादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला के अंतर्गत राष्ट्रीय सेवा योजना, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर में आयोजित हो रहे कार्यक्रमों के क्रम में दिनांक 29 जुलाई, 2022 को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर राष्ट्रीय सेवा योजना दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ. केशव सिंह ने कहा कि हर साल दुनिया भर में 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का मकसद यही है कि लोगों में बाघों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास को बचाने के लिए जागरूकता (Awareness) पैदा की जाए. बाघों को वैसे भी वन्यजीवों (Wildlife) की लुप्त होती प्रजाति की सूची में रखा गया है और इनके संरक्षण के लिए ‘सेव द टाइगर’ जैसे राष्ट्रीय अभियानों (National Campaigns) को चलाया गया है। कार्यक्रम अधिकारी डॉ जितेन्द्र कुमार ने कहा कि बाघ संरक्षण को प्रोत्साहित करने और बाघों की घटती संख्या के प्रति जागरूक के लिए 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एक सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की घोषणा की गई थी। इसमें 2022 तक बाघों की संख्‍या को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुशील कुमार ने कहा कि बाघ संरक्षण वनों के संरक्षण का प्रतीक है।
बाघ एक अनूठा जानवर है जो किसी स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र और उसकी विविधता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक खाद्य शृंखला में उच्च उपभोक्ता है जो खाद्य शृंखला में शीर्ष पर होता है और जंगली आबादी को नियंत्रण में रखता है। इस प्रकार बाघ शिकार द्वारा शाकाहारी जंतुओं और उस वनस्पति के मध्य संतुलन बनाए रखने में मदद करता है जिस पर वे भोजन के लिये निर्भर होते हैं। डॉ प्रवीण कुमार सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर रक्षा अध्ययन विभाग ने कहा कि बाघ जंगल के स्वास्थ्य एवं शाकाहारी वन्य प्राणियों की उपलब्धता दर्शाते हैं। जहां जंगल अच्छा होगा, वहां बाघ होगा। भोजन श्रृंखला के व्यवहार पर बाघ और जंगल की स्थिति का पता चलता है। इनके संरक्षण के लिए कई देश मुहिम चला रहे हैं, लेकिन फिर भी पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि इनकी संख्या घटने की रफ्तार ऐसी ही रही तो आने वाले एक-दो दशक में बाघ का नामो निशान इस धरती से मिट जाएगा। कार्यक्रम संयोजक के द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों तथा छात्र-छात्राओं को धन्यवाद ज्ञापन दिया गया और इस प्रकार कार्यक्रम संपन्न हुआ l

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