गोरखपुर। च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) में विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन बेहद अहम प्रक्रिया है। इससे विद्यार्थी किस कोर्स को चुन रहा है, उसकी कितनी फीस, हमारे पास उसके कितने शिक्षक हैं, परीक्षा, प्रैक्टिकल समेत अन्य समस्त बिंदुओं की जानकारी हो जाती है। विश्वविद्यालय स्तर पर इसे लेकर रजिस्ट्रेशन सेल बनाया जा रहा है। सभी महाविद्यालय भी अपने अपने यहां रजिस्ट्रेशन सेल का गठन करें। ये बातें कुलपति प्रो राजेश सिंह ने शुक्रवार को दीक्षा भवन में आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में कही। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के समस्त विभागों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकों के साथ साथ महाविद्यालयों के प्राचार्य और प्रबंधक शामिल हुए। कुलपति ने कहा कि रजिस्ट्रेशन सेल के गठन से ज्यादातर समस्याएं प्रारंभिक स्तर पर ही खत्म हो जाएंगी। हम एक नए सिस्टम में जा रहे हैं। उसपर आप सभी लोगों से चर्चा करना आवश्यक है। सरकार की ओर से निर्देश है कि सीबीसीएस को लागू किया जाए। जरूरत है कि आप इस नई व्यवस्था को समझें।जो इसके बारे में जानता है, उससे मिलें। संवाद करने से भ्रम दूर होंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने सबसे पहले यूजी-पीजी और पीएचडी में सीबीसीएस पैर्टन को लागू किया है। विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य के लिए इस व्यवस्था में एकेडमिक क्रेडिट बैंक पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। अगर, ये नहीं होगा तो विद्यार्थी का क्रेडिट दूसरे संस्थान में जाने पर ट्रासंर्फर नहीं होगा। विश्वविद्यालय में नए सत्र की शुरूआत हो गई है। समय सारिणी शासन को भेज दी गई है। इसके अंतर्गत 26 अगस्त तक प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करने की समय सीमा दी गई है। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने मुुख्य विषयों की प्रवेश परीक्षा का आयोजन कराने के साथ साथ अब उनके मूल्यांकन को भी शुरू कराने जा रहा है। ताकि, तय समय सीमा लक्ष्य को हासिल किया जा सके। प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करने के साथ प्रथम सेमेस्टर की कक्षाएं 26 अगस्त के बाद शुरू होंगी। मिड टर्म परीक्षा 20 अक्तूबर, 15 नवंबर तक प्रथम सेमेस्टर का कोर्स समाप्त करने, 20 नवंबर से परीक्षा और 10 जनवरी तक परिणाम घोषित करना है। कई महाविद्यालयों ने अभी तक प्रैक्टिकल के नंबर उपलब्ध नहीं कराए हैं। वो परीक्षा नियंत्रक से वार्ता कर लें अगर, आवश्यकता पड़ी तो छात्रहित में उन्हें दोबारा नंबर उपलब्ध कराने का अवसर दिया जाएगा। मुख्य अतिथि आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक अच्छी परिपाटी शुरू की है। नई शिक्षा नीति को लेकर महाविद्यालयों की जो भी समस्याएं होंगी वो एक ही छत के नीचे हल हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि नैक मूल्यांकन केवल विश्वविद्यालय का ही नहीं, बल्कि महाविद्यालयों के योगदान को भी देखता है। सभी शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वो ज्यादा से ज्यादा रिसर्च करें और पेटेंट कराएं। विश्वविद्यालय ने आपके लिए क्या किया इसे देखने से पूर्व आप ने विश्वविद्यालय के लिए क्या किया। इसका मूल्यांकन करें। सभी के सम्मलित प्रयास से ही अच्छी रैंक हासिल की जा सकती है। अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो अजय सिंह ने संचालन और अतिथियों का स्वागत कुलसचिव विशेश्वर प्रसाद ने किया। इस दौरान कार्यपरिषद सदस्य अनिल सिंह, वित्त अधिकारी संतप्रकाश सिंह, परीक्षा नियंत्रक राकेश कुमार, शीतल सिंह आदि लोग मौजूद रहे।