गोरखपुर विश्वविद्यालयः विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर मनोविज्ञान विभाग द्वारा विद्यार्थियों को किया गया जागरूक

गोरखपुर विश्वविद्यालय

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर आत्महत्या रोकथाम और इससे बचाव के लिए मनोविज्ञान विभाग द्वारा विश्विद्यालय परिसर में जनजागरूकता रैली का आयोजन किया गया। रैली का शुभारंभ अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर अजय सिंह द्वारा झड़ी दिखाकर रैली को रवाना किया गया।विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनुभूति दुबे एवं प्रोफेसर धनंजय कुमार के नेतृत्व मे रैली प्रातः 11:00 बजे से मनोविज्ञान विभाग परिसर से शुरू होक प्रत्येक विभाग के विभागाध्यक्ष , शिक्षक एवं वहां उपस्थित विद्यार्थियों के साथ वार्तालाप करते हुए उन्हें आत्महत्या के बारे में, आत्महत्या के लक्षण, अपने आसपास अपने प्रिय लोगों में कैसे पहचाने और इसके रोकथाम के लिए क्या किया जाना चाहिए इसके प्रति शिक्षकों , कर्मचारियों और विद्यार्थियों को जागरूक किया गया। इसके अंतर्गत विभाग अध्यक्ष महोदय प्रोफेसर अनुभूति दुबे एवं प्रोफेसर धनंजय कुमार ने विद्यार्थियों , शिक्षक गण को इसके बारे में बताते हुए जागरूक किया और एक मानसिक स्वास्थ्य को अनदेखा न करने के प्रति लोगों को जागरूक किया। उन्होंने बताया कि कैसे शारीरिक स्वास्थ्य की तरह मानसिक स्वास्थ्य भी एक अहम भूमिका निभाता है ,अगर आपका मानसिक स्वास्थ्य नहीं सही है तो शारीरिक स्वास्थ्य में कमी आ सकती है और मानसिक स्वास्थ्य अगर सही है तो थोड़ा बहुत शारीरिक स्वास्थ्य ऊपर नीचे हो सकता है । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही विभागाध्यक्ष प्रो. अनुभूति दुबे ने बताया की आत्महत्या कभी अचानक नहीं होती है आत्महत्या एक प्रक्रिया है जो चलती रहती है जिसमें एक मनुष्य के अंदर अनेक प्रकार के विचार परस्पर आते रहते हैं जैसे होपलेस हो जाना , असहाय महसूस करना गिल्ट या शेम की भावना होना, खुद को कम आकलन शुरू कर देना , उदासीनता , एकाग्र ना हो पाना क्रियाकलाप में कमी किसी भी कार्य में रुचि ना लेना, नींद ना आना या अत्यधिक आना बहुत अत्यधिक संवेदनशील हो जाना, मोटिवेशन की कमी होना कुछ भी करने का मन ना करना कभी-कभी ऐसा होता है कि वह इंसान वह मनुष्य वह अपनी प्रिय चीजें दूसरों को देना शुरू कर देता है वह बात बात में मृत्यु और मरने जैसी बातें करता है, वह अपनी प्रिय वस्तुएं दूसरों को देना शुरू कर देता है।
यह अभियान के तहत रैली मनोविज्ञान विभाग से शुरू होकर पूरे विश्वविद्यालय परिसर कला संकाय , भौतिक विज्ञान रसायन विज्ञान अन्य सभी विभागों में भ्रमण कर विभागाध्यक्ष शिक्षकों कर्मचारियों और विद्यार्थियों के साथ वार्ता की और उन्हें जागरूक किया कैसे अवसाद से निकला जा सकता है मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक किया और लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के लिए खड़े होने और इसके लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित किया !
इस कार्यक्रम में मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों शोधार्थियों ने बताया कि कैसे आप एक आत्महत्या की ओर अग्रसर मनुष्य की मदद कर सकते हैं जैसे उन्हें सीधे मदद के लिए पूछना उनकी सुरक्षा करना उन्हें उनके परिवार को मित्रों से जोड़ना उन्हें एक प्रोफेशनल काउंसिलर से जोड़ना उनका समय समय पर साथ देना और उनसे जुड़े रहना ताकि उन्हें अकेलापन ना महसूस हो और उन्हें लगे कि उनके साथ कोई है। इस अभियान के तहत विश्वविद्यालय परिसर में लगभग 500 विद्यार्थियों तथा समस्त शिक्षकों से मिल कर उन्हें जागरूक किया गया

मनोविज्ञान विभाग में स्थापित है काउंसलिंग सेंटर, निःशुल्क ले सकते हैं मनोविज्ञानिक परामर्श

विभागाध्यक्ष प्रो. दुबे ने बताया कि लोगों मे मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक स्टिग्मा या कलंक पनपता है और लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में या इससे जुड़े बातों के बारे में किसी से बात नहीं करते हैं पहले तो वह नकार देते हैं कि उन्हें ऐसा नहीं हो सकता वह शर्मिंदगी के कारण दूसरों से इसके बारे में वार्ता बातचीत नहीं करते है। उनके लिए मनोविज्ञान विभाग में स्वस्ति साइकोलॉजिकल काउंसलिंग सेंटर स्थापित किया गया है जहां पर विश्वविद्यालय के छात्रों शिक्षकों कर्मचारियों के लिए निशुल्क सेवा उपलब्ध है वह निसंकोच वहां आ सकते हैं किसी भी तरह की मदद के लिए आ सकते हैं आपकी बातों को आप की समस्याओं को नैतिकता के नियमों के आधार पर है। गोपनीय रखा जाता है।

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