गोरखपुर विश्वविद्यालयः समाजशास्त्र विभाग द्वारा “रिसेंट डिसकोर्स इन डेवलपमेंट” विषय पर व्याख्यान का किया गया आयोजन

गोरखपुर विश्वविद्यालय

गोरखपुर। विकास बहुआयामी उपागम है और इसे पूरे विश्व के संदर्भ में समझना होगा। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात विकास पर विमर्श शुरू हुआ। समग्र रूप से इसे आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक आयामों के आधार पर समझा जाता है। विकास का विश्लेषण करने में स्थानीय समाज एवं संस्कृति का सन्दर्भ भी महत्वपूर्ण होता है।

उक्त वक्तव्य जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली में प्रोफेसर डॉ. शफीक अहमद ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग द्वारा “रिसेंट डिसकोर्स इन डेवलपमेंट” विषय पर आयोजित एक विशेष व्याख्यान को सम्बोधित करते हुए कही।

समाजशास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर संगीता पांडेय ने कार्यक्रम का औपचारिक रूप से शुभारंभ करते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा नैक ए प्लस प्लस ग्रेड मिलने को बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि कुलपति प्रो. राजेश सिंह जी के निर्देशन में हम सभी को इस उपलब्धि की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की जरूरत है। आज के समय में विकास एक अपरिहार्य प्रक्रिया है। समाजशास्त्र विकास के विभिन्न आयामों का विश्लेषण करता है।

कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए डॉ. अनुराग द्विवेदी ने कहा कि विकास को समझने का सन्दर्भ सामयिक परिस्थितियों के अनुरूप बदलता रहता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनीष पाण्डेय एवं आभार ज्ञापन प्रो. सुभी धुसिया ने किया।
इस दौरान प्रो. अंजू, डॉ दीपेन्द्र मोहन सिंह, डॉ प्रकाश प्रियदर्शी, शोध छात्र मन्तोष यादव, सुधीर, अंजनी समेत अनेक परास्नातक के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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