गोरखपुर। वर्तमान में भारत की विदेश नीति ने वैचारिक बाधाओं को पीछे छोड़ व्यावहारिकता को अपनाया है। राष्ट्रीय हितों को साधने वाली विदेश नीति अपनाई है। लेकिन इसके साथ ही वसुधैव कुटुम्बकम के केंद्र में रखा है जिसकी वजह से भारत के राष्ट्रीय हित ग्लोबल गुड्स (वैश्विक हितों) से भिन्न नहीं है।
ये बाते मुख्य वक्ता पूर्व राजनयिक वीरेंद्र गुप्ता ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में ‘भारत की विदेश नीति के बदलते आयाम’ विषयक रिफ्रेशर कोर्स के उद्घाटन सत्र में कही।
37 साल तक भारतीय विदेश सेवा में कार्यरत रहे वीरेंद्र गुप्ता साउथ अफ्रीका, तंजानिया तथा त्रिनिदाद एवं टबेगो में भारत के उच्चायुक्त रहे।
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के महानिदेशक रहे वीरेंद्र गुप्ता ने कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र के अलावा अन्य वैकल्पिक अंतर्राष्ट्रीय मंचों जैसे G20 का प्रयोग करने की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आने वाले 15-20 सालों में सुधार होने की कम संभावना है। भारत को वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ने का मौका G20 की अध्यक्षता से मिला है।
कार्यक्रम में कुलपति प्रो राजेश सिंह के मार्गदर्शन में नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्लस ग्रेड हासिल करने पर सभी ने बधाई दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि आज विश्व बहुध्रुवीय तथा बहुस्तरीय हो गया है। आज भारत सॉफ्ट पावर के साथ हार्ड पावर भी बन कर उभरा है। आज भारतीय विदेश नीति ने सभी पक्षों को समाहित किया है चाहे अर्थ का क्षेत्र हो समाजिक हो अथवा विश्व मंच पर अपने संस्कारों को संवर्धित समाहित करने का हो हर क्षेत्र को सांचे में डालकर भारतीय विदेश नीति आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री जी के सफल प्रयासों से आज विश्व की सभी शक्तियां भारत की ओर देख रही है समाधान के आयाम भारत में ही खोजने का प्रयास कर रही है।
यूजीसी-एचआरडीसी के निदेशक प्रो रजनीकांत पांडेय ने अतिथियों तथा रिफ्रेशर कोर्स में भाग ले रहे शिक्षकों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत की विदेश नीति के बदलते आयाम पर आयोजित इस कोर्स से सभी का ज्ञानवर्धक होगा।
कोर्स के कोऑर्डिनेटर तथा राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो रूसिराम महानंदा ने मुख्य अतिथि तथा मुख्य वक्ता का कोर्स में व्यख्यान देने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि मेरा प्रयास रहेगा कि विद्वानों को आगामी 14 दिनों में आमंत्रित कर अपने प्रतिभागियों का संबोधन करने का प्रयास किया गया है। कार्यक्रम में प्रो राजेश सिंह, प्रो विनीता पाठक, प्रो गोपाल प्रसाद तथा डॉ अमित उपाध्याय ने सहभागिता की। कार्यक्रम का संचालन डॉ महेंद्र कुमार सिंह ने किया।