इस्लाम ने ज़बान की हिफाज़त करने और उस को गलत इस्तेमाल से बचाने का हुक्म दिया है, एक सच्चे पक्के मुसलमान की शान यह है कि वह नर्म मिज़ाज और नर्म ज़बान होता है। उस की ज़बान से गन्दी बातें, गाली गलोच और अख़्लाक से गिरे हुए अल्फाज़ (शब्द) नहीं निकलते। वह किसी को ताना नहीं देता और न ही वह किसी पर लानत करता है।
अल्लाह (ब्रह्मांड का रचयिता) के रसूल (स0) (सन्देश वाहक) ने कहा हैं कि अगर कोई शख्स तुम को गाली दे और तुम पर उस चीज़ का ऐब लगाए जो तुम्हारे अन्दर है, तब भी तुम उसे उस चीज़ का ऐब न लगाओ जो तुम उस के अन्दर जानते हो।
गौर करने की बात यह हैं कि जो मुसलमान इस बुराई से खुद को बचाने की कोशिश नही कर रहें हैं, वो खुद पर कितना बड़ा ज़ुल्म कर रहें हैं। इसलिए हमें आपनी ज़बान की हिफाज़त करनी चाहिए और इसको गलत इस्तेमाल से बचाना चाहिए। अल्लाह (ब्रह्मांड का रचयिता) हम सबको इस बुराई से बचायें। आमीन।