कुरआन की बातें (भाग 39)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: तकवीर (भाग 1), प्रारम्भिक तेरह आयतों में क़ियामत आने से पूर्व की कुछ अभूतपूर्व घटनाओं का उल्लेख है। जब यह सब घटित होगी, तब लोगों को आभास होगा कि जो काम संसार में करना चाहिए था वह नहीं कर सके। […]

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कुरआन की बातें (भाग 38)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: इंफ़ितार, क़ियामत के दिन का दृश्यांकन / दृश्यावलोकन एक बार फिर इस सूर: के द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यहां चार संभावित दृश्य प्रस्तुत किए गए हैं जिनके साथ क़ियामत (प्रलय) का आगमन होगा। आकाश, जिसमें कोई छिद्र ढूंढने से […]

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कुरआन की बातें (भाग 37)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: मुतफ़्फ़िफ़ीन, इस्लाम के सिद्धांतों के आधार पर एक समाज का निर्माण करने में जहां आस्था एवं उपासना पद्धति महत्त्वपूर्ण है, वहीं सामाजिक व्यवहार को भी संतुलित करना अत्यंत आवश्यक है। जीवन स्वार्थ, द्वेष एवं लोभ-मोह जैसे दोषों से मुक्त रहे […]

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कुरआन की बातें (भाग 36)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: इंशिक़ाक़, इस सूर: में भी क़ियामत का दृश्यांकन एवं मानवजाति के दो समूहों में विभाजित होने तथा दो विपरीत परिस्थितियों में उन के डाले जाने का वर्णन किया गया है। मक्का वास के समय जिन तीन विषयों को मुख्य रूप […]

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कुरआन की बातें (भाग 35)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: बुरूज, एक बार फिर आकाश एवं उसके रहस्यों (भरे किलों) को साक्षी बनाकर प्रस्तुत किया गया है। वास्तव में आकाश की वास्तविकता को पूर्ण रूप से समझ पाना मनुष्य के वश में नहीं है। जिन गहराइयों तक मनुष्य की पहुंच […]

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कुरआन की बातें (भाग 34)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- आकाश का रात्रि के समय जो मनोरम दृश्य होता है वह भी मनुष्य को सोचने का निमंत्रण देता है। विशेष रूप से वह चमकदार तारा जो पल भर के लिए चमकता है, तेजी से एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर […]

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कुरआन की बातें (भाग 33)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- मक्का के निवास काल में भी अति प्रारम्भिक चरण में अवतरित होने वाली यह सूर: इस्लाम के मूल सिद्धांतों एवं पूर्व के ग्रंथों में उन (इस्लामी सिद्धांतों) के संदर्भ एवं चर्चा के संबंध में है। सर्वप्रथम ईश्वर के बारे में दृष्टिकोण […]

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कुरआन की बातें (भाग 32)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: ग़ाशिय: (भाग 2), दरस-ए-कुरआन (भाग 31) में क़ियामत के दिन मानवजाति को दो समूहों में विभक्त होने की तथा उनकी मनोदशा एवं अंततः उनके साथ होने वाले व्यवहार का वर्णन है। अब प्रश्न करके स्वयं उन से पूछा जा रहा […]

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