कुरआन की बातें (भाग 23)
(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या: सूर: शरह, यह सूर: इस्लाम धर्म के उद्गम के समय की है, जब विरोध की आंधी चल रही थी तथा संसार में ईश्वर के अंतिम संदेष्टा को अकेलापन महसूस हो रहा था। ऐसे में सांत्वना स्वरुप यह दैवीय उद्गार निश्चित ही […]
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