कुरआन की बातें (भाग 15)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या: सूर: क़ारिअ़:, यह सूर: क़ियामत के संबंध में चेतावनी देने के लिए है। उसका आना अचानक होगा और फिर वह किसी को कुछ करने का अवसर नहीं देगी। अतः उसके आने से पहले उसकी तैयारी कर लो। क़ियामत आने के उपरांत […]

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कुरआन की बातें (भाग 14)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- सूर: तकासुर, मनुष्य अधिकाधिक धन संचय करने के लिए इतना अंधा हो जाता है कि सही ग़लत का उसे आभास भी नहीं होता। दूसरे को इस के लोभ के चलते कितना कष्ट एवं कितनी हानि पहुंच रही, इसकी सर्वथा उपेक्षा होती […]

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कुरआन की बातें (भाग 13)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या: सूर: अस्र, यह सूरः क़ुरआन शरीफ़ की सबसे छोटी सूर: में से एक है। परन्तु महत्त्व के संबंध में इमाम शाफ़ई का कथन अति प्रासंगिक है कि मानव सुधार के लिए यदि क़ुरआन शरीफ़ में कोई और सूर: न भी उतरती, […]

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कुरआन की बातें (भाग 12)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- सूर: हुमज़:, इस सूर: में दो शब्दों का प्रयोग करते हुए कुछ विशेष व्यक्तियों के बुरे अंजाम (दुर्दिन/दुर्दशा) की सूचना दी गई है, ताकि ऐसे लोग अपने व्यवहार सुधार लें। दूसरों में कमियां ढूंढना एक घृणित कार्य है। इसी प्रकार चुगलखोरी […]

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कुरआन की बातें (भाग 11)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- सूर: नास, यह क़ुरआन शरीफ़ की क्रमानुसार अंतिम सूर: है। यह सूर: पिछली सूर: (फ़लक़) के संग ही अवतरित हुई है, तथा व्यवहारिक रूप से दोनों एक साथ ही पढ़ी जाती हैं। पिछली सूर: में जहां चार प्रकार की संभावित हानियों […]

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कुरआन की बातें (भाग 10)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- सूर: फ़लक़, यह क़ुरआन की (आरोही क्रम में) अंतिम दो सूर: में से एक है। वास्तव में यह दोनों सूर: जुड़वां (द्वय) हैं, जो एक साथ अवतरित हुई हैं। यह उस समय अवतरित हुईं जब हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर […]

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कुरआन की बातें (भाग 9)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- सूर: इख़लास, यह सब से छोटी पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण सूर: में से एक है। यह एक तिहाई क़ुरआन के बराबर है। इसको सम्पूर्ण मनोवेग से बार बार पढ़ने वाले से अल्लाह भी प्रेम करता है तथा उसके लिए स्वर्ग का मार्ग […]

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कुरआन की बातें (भाग 8)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- सूर: लहब, हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का एक चाचा, अबूलहब था। उसने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जन्म पर अत्यंत प्रसन्न होकर अपनी एक लौंडी (दासी) को स्वतंत्र कर दिया था। यह उस समय की बात है जब युद्ध बंदियों […]

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