गाली गलोच से बचना

इस्लाम ने ज़बान की हिफाज़त करने और उस को गलत इस्तेमाल से बचाने का हुक्म दिया है, एक सच्चे पक्के मुसलमान की शान यह है कि वह नर्म मिज़ाज और नर्म ज़बान होता है। उस की ज़बान से गन्दी बातें, गाली गलोच और अख़्लाक से गिरे हुए अल्फाज़ (शब्द) नहीं निकलते। वह किसी को ताना […]

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लोगो के सामने हाथ न फ़ैलाओ

लोगों से मांगना और सवाल (गिड़ गिड़ाना) करना इन्तिहाई बुरी आदत है, यह मुसलमान की ग़ैरत (आत्म सम्मान) के खिलाफ है कि वह अल्लाह (ब्रह्मांड का रचयिता) के अलावा किसी दूसरे के सामने हाथ फ़ैलाए। इस्लाम ऐसे बुरे फेल (हरकत) को बिलकुल पसन्द नहीं करता और अपने मानने वालों को इस से बचने की ताकीद […]

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इस्लाम में इन्साफ और बराबरी का महत्व

सब के साथ इस्लाम की बुनियादी शिक्षा का मामला करना इस्लाम की बुनियादी शिक्षा है। इस्लाम में हर एक के साथ इन्साफ करने का और नाइन्साफी से बचने का हुक्म (आदेश) दिया गया है। कुआन मजीद में भी अल्लाह तआला (ब्रह्मांड का रचयिता) बराबरी, इन्साफ और एहसान करने का हुक्म (आदेश) देता है। कुआन मजीद […]

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इस्लाम में ज़बान की हिफाज़त

इस्लाम ने ज़बान की हिफाज़त करने और उसको गलत इस्तिमाल से बचाने का हुक्म दिया है। एक सच्चे पक्के मुसलमान की शान यह है कि वह नर्म मिज़ाज और नर्म ज़बान होता है। उस की ज़बान से गन्दी बातें, गाली-गलोच और अख्लाक से गिरे हुए शब्द नहीं निकलते। वह किसी को ताना नहीं देता और […]

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व्यापारियों की ज़िम्मेदारी

बाज़ार में आम तौर पर चीज़ें या तो नाप कर बेची-खरीदी जाती हैं या तौल कर। देखा जाये तो आज कल अक्सर चीज़ें तौल कर बेची जाती हैं। हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के ज़माने में ज़्यादातर चीज़ें नाप कर बेची जाती थीं। ताजिरों (व्यापारियों) पर फर्ज़ (ज़रूरी) है कि कोई भी समान बेचतें वक्त […]

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मां बाप की अहमियत और उनका मर्तबा

जिस तरह मां-बाप की फरमा बरदारी करना (बातों को मानना), उनके साथ अच्छा सलूक करना, उन की खिदमत (सेवा) करना और उन्हें हमेशा राहत व आराम पहुंचाना बहुत ही नेकी (पुण्य) का काम है। इसी तरह उनकी नाफरमानी करना (बातों को न मानना), उनके साथ बुरा सलूक करना उनको तकलीफ पहुंचाना या किसी और तरह […]

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ग़रीबों को मोहलत देना और उनके साथ नरमी करना

नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: “जिसने ग़रीब को मोहलत दी या उनका उधार माफ कर दिया, तो अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसको अपने अर्श के साये में रखेंगे, जिस दिन अल्लाह के साये के इलावा कोई साया नहीं होगा।” यानी अगर उधार लेने वाला ग़रीब आदमी हो तो उसको उधार को […]

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