कुरआन की बातें (भाग 7)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- सूर : नस्र, यह सम्भवतः अन्तिम पूर्ण सूर: है। इस के बाद कुछ आयतें ही अवतरित हुईं। कोई पूरी सूर: नहीं उतरी। इस में इस्लाम धर्म के बारे में भविष्यवाणी है कि अब वह समय समाप्त हो गया है जब इस […]

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कुरआन की बातें (भाग 6)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- यह सूर: काफ़िरून है। इस में स्पष्ट रूप से यह बता दिया गया है कि इस्लाम और कुफ्र (ग़ैर इस्लाम) दो अलग-अलग मार्ग हैं। दोनों एक-दूसरे के साथ तो रह सकते हैं पर आपस में घुल मिल नहीं सकते। एक को […]

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कुरआन की बातें (भाग 5)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- सूर: कौसर, यह सूर: मक्का में उस समय अवतरित हुई जब अंतिम संदेश्टा, हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सुपुत्र इब्राहिम स्वर्गवासी हो गये। आप का सगा चाचा, अबूलहब, जो आप से शत्रुता में सबसे आगे था, बहुत प्रसन्न हुआ और […]

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कुरआन की बातें (भाग 4)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- इस सूर: में इसलाम के एक मूल मंत्र को स्थापित किया गया है। समाज के वंचित तथा उसके द्वारा परित्यक्त मानवजाति के प्रति संवेदना जागृत की गई है। विशेषकर अनाथों तथा बेघर आश्रितों के प्रति दर्शाई जाने वाली संवेदनहीनता को कटघरे […]

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कुरआन की बातें (भाग 3)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- यह सूर: क़ुरैश है। क़ुरैश मक्का का एक क़बीला था। मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम भी उसी क़बीला से थे। यह एकमात्र क़बीला है जिस का नाम क़ुरआन में आया है। अल्लाह तआ़ला की कृपा सदैव क़ुरैश और मक्का वासियों के साथ […]

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कुरआन की बातें (भाग 2)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- सूर: फ़ील यह पवित्र कुरआन की अन्तिम दस सूर: में से एक है। यहां हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जन्म से एक वर्ष पूर्व घटित घटना के संदर्भ में ईश्वर के अपार, अद्वितीय तथा अभूतपूर्व शक्ति प्रदर्शन का वर्णन है। […]

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कुरआन की बातें (भाग 1)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- सूर: फ़ातिह़ा क़ुरान पाक की पहली सूर: है। यह वास्तव में एक दुआ है। अल्लाह तआ़ला ने बड़ी मेहरबानी की कि इसके जरिए दुआ मांगने का तरीका भी बताया है। सबसे पहले यह तथ्य सामने रखा गया कि प्रशंसा का पात्र […]

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