कुरआन की बातें (भाग 31)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: ग़ाशिय: (भाग 1), एक बार फिर क़ियामत के दिन का दो दृश्य इस सूर: में दृष्टिगोचर किया गया है। अंततः लोग दो समूहों में विभक्त होंगे। परिणाम के अनुरूप लोगों के चेहरे कैसे होंगे तथा उनका स्वागत किस प्रकार किया […]

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कुरआन की बातें (भाग 30)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: फ़ज्र (भाग 2), सूर: के प्रथम भाग में इस सुव्यवस्थित ब्रह्मांड की कुछ प्राकृतिक घटनाओं एवं वस्तुओं को साक्षी बनाकर कहा गया कि ईश्वर ने यह सब व्यर्थ/बे सोचे नहीं बनाया है बल्कि वह जवाबदेही भी तय करता है तथा […]

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कुरआन की बातें (भाग 29)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: फ़ज्र (भाग 1), एक अनोखी शैली में इस सूर: को आरंभ किया गया है। प्रारंभ तो क़सम/सौगंध खाकर या साक्षी बनाकर ही किया गया है, किन्तु उससे क्या सिद्ध होता है इस का वर्णन न करके श्रोताओं अथवा पाठकों से […]

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कुरआन की बातें (भाग 28)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: बलद, एक बार फिर इस सूर: में क़सम (सौगंध) खाकर एक बात कही गई है। क़ुरआन मजीद में क़सम किसी वस्तु के बड़े होने अथवा सर्वज्ञानी होने के कारण नहीं खाई जाती अपितु उसकी गवाही (साक्षी के रूप में) या […]

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कुरआन की बातें (भाग 27)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: शम्स (भाग २), अब इन आयतों में एक विशेष समुदाय के विशेष कृत्य तथा दुनिया में ही उसका हश्र / दुष्परिणाम बता कर ईश्वर ने अपनी प्रभुसत्ता एवं सृष्टि पर अपने सम्पूर्ण नियंत्रण को दर्शाया है। संबंध: इस सूर: की […]

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कुरआन की बातें (भाग 26)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: शम्स (भाग 1), एक बार फिर इस सूर: (शम्स) में ब्रह्मांड की कुछ प्राकृतिक वस्तुओं एवं घटनाक्रम को साक्षी बनाकर कुछ अति महत्त्वपूर्ण एवं बुनियादी बातों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया है। उनके संयोजन पर एक दृष्टि डालने से […]

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कुरआन की बातें (भाग 25)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: लैल, जिस प्रकार से काली रात्रि (जिस में दिन/उजाले का कोई अंश बचा नहीं रह जाता) एवं प्रकाशमान दिन (जो रात्रि के किसी भी प्रभाव से उन्मुक्त हो) – इन दोनों में विरोधाभास है तथा जिस प्रकार से नर एवं […]

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कुरआन की बातें (भाग 24)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: ज़ुह़ा, यह सूर: आरम्भ काल की है, जब प्रारम्भिक कुछ अवतरणों के पश्चात आंशिक रूप से (25-40 दिनों तक) विराम लग गया था। हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम चिंतित थे कि मुझ से जाने अंजाने में कहीं कुछ ऐसा तो […]

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