हदीस की बातें (भाग 03)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:– हज़रत उमर इब्न अबी सलमा (रज़ि.) से रिवायत है, जिन्होंने कहा: अल्लाह के रसूल (सल्ल.ﷺ) ने मुझसे फ़रमाया (कहा): “बिस्मिल्लाह कहो (अल्लाह का नाम लो) और अपने दाहिने हाथ से खाओ, और जो तुम्हारे क़रीब है, वहीं से खाओ।” (बुख़ारी 5376) […]

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कुरआन की बातें (भाग 47)

सर्वप्रथम अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: नबा (भाग 3), यह इस सूर: का अंतिम भाग है। इससे पहले नर्क वासियों की चर्चा हो चुकी है। नर्क उनकी प्रतीक्षा में होगी तथा उससे छुटकारा नहीं मिलेगा। कष्ट एवं यातनाओं की अकल्पनीय श्रृंखला से वहां साक्षात्कार होगा जिस […]

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कुरआन की बातें (भाग 46)

सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: नबा (भाग 2), प्रथम सोलह आयतों में लोगों के परस्पर विवाद एवं क़ियामत आने में संशय व्यक्त करने का वर्णन था। फिर अल्लाह तआ़ला ने तार्किक ढंग से ब्रह्मांड की अन्यान्य वस्तुओं के संदर्भ में क़ियामत के निश्चित आगमन को […]

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कुरआन की बातें (भाग 45)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं।) हिन्दी व्याख्या:- सूर: नबा (भाग 1), क़ुरआन मजीद में कुल तीस पारे (भाग/अंश) हैं। यह क़ुरआन मजीद के तीसवें पारे की पहली सूर: है। इस का आरम्भ किसी प्रश्न की प्रतिध्वनि लिए हुए है। पहली आयत में ही स्वयं पूछा गया कि लोग […]

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कुरआन की बातें (भाग 44)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं।) हिन्दी व्याख्या:- सूर: नाज़िआ़त (भाग 2), प्रारंभ में फ़रिश्तों को साक्षी बनाकर क़ियामत के आने का विश्वास एवं सम्भावना जागृत की गई है। फिर फ़िरऔन की कहानी सुनाकर बताया गया कि उसका दम्भ एवं अभिमान भी ईश्वर के आगे काम नहीं आया। और […]

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कुरआन की बातें (भाग 43)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: नाज़िआ़त (भाग 1), इस सूर: का आरम्भ विचित्र ढंग से हुआ है। क़सम उन फ़रिश्तों की खाई गई है जो ईश्वरीय कार्य में तल्लीन हैं। वे स्वयं उस बात के साक्षी हैं जो समझाई जा रही है। पहली दो आयतों […]

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कुरआन की बातें (भाग 42)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: अ़बस (भाग 2), इस सूर: की प्रारंभिक आयतों में एक विशेष पृष्ठभूमि में यह संदेश दिया गया है कि इस्लाम धर्म पवित्रता को आत्मसात करने तथा कराने का धर्म है। अतः जिसके अंदर ग्रहण करने की तलब दिखाई दे, उसकी […]

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कुरआन की बातें (भाग 41)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: अ़बस (भाग 1), यह सूर: एक विशेष पृष्ठभूमि में उतरी है। एक बार हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मक्का के कुछ सरदारों को दीन समझा रहे थे तथा यह आशा रखते थे कि यदि उनमें से कोई इस्लाम धर्म स्वीकार […]

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