कुरआन की बातें (भाग 24)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: ज़ुह़ा, यह सूर: आरम्भ काल की है, जब प्रारम्भिक कुछ अवतरणों के पश्चात आंशिक रूप से (25-40 दिनों तक) विराम लग गया था। हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम चिंतित थे कि मुझ से जाने अंजाने में कहीं कुछ ऐसा तो […]

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कुरआन की बातें (भाग 22)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- अंजीर एक रसदार फल है जो मध्य पूर्व एशिया में बहुतायत से/प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जिस में अकल्पनीय औषधीय गुण पाए जाते हैं। किन्तु यह अत्यंत कोमल/नाज़ुक होता है, तथा तुरंत संरक्षित न किया जाए तो ख़राब हो जाता […]

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कुरआन की बातें (भाग 21)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:- सूर: इक़रा भाग दो, इस दूसरे भाग की पृष्ठभूमि अन्य है। किन्तु समानता यह है कि प्रथम भाग क़ुरआन शरीफ़ का सर्वप्रथम अवतरित अंश है तथा द्वितीय भाग नमाज़ (इस्लामी पूजा पद्धति) के प्रथम सार्वजनिक प्रर्दशन के संदर्भ में है। वास्तव […]

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कुरआन की बातें (भाग 20)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या:– सूर: इक़रा भाग 1, यह भाग इस सूर: का स्वाभाविक विभाजन है। इस का महत्त्व यह है कि यह क़ुरआन शरीफ़ का प्रथमतम / सर्वप्रथम अवतरण है। जब हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सत्य की खोज में तल्लीन तथा समसामयिक व्यवस्था […]

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कुरआन की बातें (भाग 19)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या: यह सूर: शबे क़द्र के महत्त्व के संबंध में है। यह महत्त्व भी निर्विवाद रूप से क़ुरआन शरीफ़ के कारण है। क़ुरआन शरीफ़ को इसी रात्रि में लौहे महफ़ूज़ (ईश्वर के सिंहासन, अर्श, पर स्थित एक तख़्ता है जहां तक ईश्वर […]

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कुरआन की बातें (भाग 18)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्याः- सूर: बय्यिन, इस सूर: में विशेष रूप से दो व्याख्यान हैं, पहला रसूल (ईश्दूत) का महत्व एवं उपयोगिता, तथा दूसरा रसूल को मानने और न मानने वालों में अन्तर। यह दोनों प्रकरण दो विभिन्न धर्म समुदायों की पृष्ठभूमि में हैं, जिनमें […]

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कुरआन की बातें (भाग 17)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या: इसे सूर: ज़िलज़ाल कहा जाता है जो जलजला (धरती का बार-बार कंपन) या भूकम्प के अर्थ में प्रयुक्त होता है। क़ियामत का प्रारम्भ एक भयंकर भूकम्प के रूप में होगा। धरती तथा जो कुछ धरती पर है वह तहस-नहस हो जाएगा। […]

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कुरआन की बातें (भाग 16)

(सर्वप्रथम) अभिशापित शैतान से बचने हेतु मैं ईश्वर की शरण लेता हूं। हिन्दी व्याख्या: सूर: आ़दियात, यह क़ुरआन शरीफ़ की 100 क्रमांक की सूर: है। क्रमानुसार क़ुरआन शरीफ़ में कुल 114 सूर: हैं। इस सूर: में कुछेक विशिष्टताओं का वर्णन है जो सामान्यतः घोड़ों में विद्यमान होती हैं। यद्यपि घोड़ों का नाम नहीं लिया गया […]

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