गोरखपुर विश्वविद्यालयः प्रवृत्ति मूलक धर्म की स्थापना मुख्य ध्येय- डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी
गोरखपुर। प्रवृत्ति मूलक धर्म की स्थापना पंडित दीनदयाल जी के साहित्य का मुख्य केंद्र बिंदु था। धर्म सभी जानते हैं परंतु उसके अनुपालन की प्रवृत्ति समाप्त हो गई है, इसलिए धर्म की स्थापना से ज्यादा महत्वपूर्ण प्रवृत्ति मूलक स्वभाव बने, इसके लिए दीनदयाल जी ने अपने साहित्य में जगह-जगह उल्लेख किया है, उक्त बातें डॉ […]
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